रिपब्लिक टीवी के संस्थापक अर्नब गोस्वामी के साथ तरजीही व्यवहार के आरोप पर सुप्रीम कोर्ट के जजों का फूटा गुस्सा

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इस साल अप्रैल में उनके मामले की सुनवाई के दौरान अंग्रेजी समाचार चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ के विवादास्पद एंकर और संस्थापक अर्नब गोस्वामी के साथ तरजीही व्यवहार के आरोप लगने के बाद शुक्रवार (19 जून) को सुप्रीम कोर्ट के जजों का गुस्सा फूट पड़ा। बता दें कि, पालघर में दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट-पीट कर हत्या किए जाने की घटना के मामले में अपने कार्यक्रम में कथित टिप्पणियों की वजह से अर्नब गोस्वामी इन दिनों मुश्किलों में घिरे हुए है। मुंबई पुलिस अर्नब गोस्वामी के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच कर रही है।

अर्नब गोस्वामी

सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस अरुण मिश्रा, अब्दुल नज़ीर और एम आर शाह ने वकील रिपक कंसल (Reepak Kansal) से पूछा, “आप अनावश्यक रूप से रजिस्ट्री को खींच रहे हैं। आप अपनी याचिका (ONORC) की तुलना अर्णब गोस्वामी की याचिका से कैसे कर सकते हैं? तात्कालिकता क्या थी? आप निरर्थक बातें क्यों कह रहे हैं?”

लाइव लॉ की वेबसाइट के अनुसार, न्यायमूर्ति नज़ीर ने कंसल की खिंचाई करते हुए कहा, “आपके मामले में क्या आग्रह है? इसकी तुलना गोस्वामी के मामले से नहीं की जा सकती। आपके जीवन को आसान बनाने के लिए रजिस्ट्री के सभी सदस्य दिन-रात काम करते हैं। आप उन्हें ध्वस्त कर रहे हैं। आप ऐसी बातें कैसे कह सकते हैं?”

शीर्ष अदालत ने मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। कंसल ने याचिकाएं सूचीबद्ध करते हुए निष्पक्षता और निष्पक्षता बरतने के लिए रजिस्ट्री को निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

सुप्रीम कोर्ट इस साल अप्रैल में उस समय आलोचनाओं के घेरे में आ गया था जब उसने अर्नब गोस्वामी की याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया था। बता दें कि, पालघर मामले में गोस्वामी के कवरेज के दौरान धार्मिक घृणा को बढ़ावा देने के लिए कई जगहों पर अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद उन्होंने गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

अर्नब गोस्वामी पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने गोस्वामी को गिरफ्तारी से तीन हफ्ते की सुरक्षा दी थी। उसके बाद शीर्ष अदालत ने गोस्वामी की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उनके खिलाफ दायर एफआईआर को रद्द करने और सीबीआई को मामले को स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।

बता दें कि, पालघर में भीड़ द्वारा साधुओं की पीट-पीटकर हत्या के मामले पर एक समाचार शो में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कथित अपमानजनक बयान को लेकर अर्नब गोस्वामी के खिलाफ कई जगहों पर प्राथमिकियाएं दर्ज कराई गई हैं। अप्रैल 2020 के आखिरी हफ्ते में मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्वामी से 12 घंटे की पूछताछ भी कर चुकी है।

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