सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर तबके को सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को नोटिस जारी किया है। संवैधानिक सुधार को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (25 जनवरी) को यह नोटिस जारी किया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के 10 फीसदी आरक्षण को देशभर में लागू करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
file photoचीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने कहा कि हम इस मुद्दे की पड़ताल करेंगे। केंद्र सरकार को नोटिस का तीन सप्ताह मे जवाब देना है। हालांकि कोर्ट ने कानून पर फिलहाल अंतरिम रोक लगाने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है। यानी जहां-जहां कानून लागू है वहां फिलहाल लागू रहेगा उस पर कोई रोक नही है। तत्काल रोक से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम मुद्दे पर अपने स्तर पर निरीक्षण करेंगे।
कोर्ट में संविधान संशोधन के जरिए आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण पर रोक लगाने के लिए जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में तत्काल इस पर रोक लगाने की भी मांग की गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन सुनवाई के लिए याचिका स्वीकार कर ली। कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया।
Supreme Court also refuses to stay implementation of 10 per cent reservation to the economically weaker section of general category. A bench of CJI Ranjan Gogoi says “we will examine the issue.” https://t.co/nLEnpg2CyG
— ANI (@ANI) January 25, 2019
सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि ये संविधान की मौलिक भावना के साथ छेड़छाड़ है साथ ही आरक्षण के लिए अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तय की गई है जिसका उल्लंघन किया गया है। इस मामले में पहले ही एक अन्य एनजीओ की ओर से डॉक्टर कौशल कांत मिश्रा ने भी अर्जी दाखिल की हुई है।
आपको बता दें कि संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम के जरिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन किया गया है। इसके जरिए एक प्रावधान जोड़ा गया है जो राज्य को ‘‘नागरिकों के आर्थिक रूप से कमजोर किसी तबके की तरक्की के लिए विशेष प्रावधान करने की अनुमति देता है।’’
यह ‘‘विशेष प्रावधान’’ निजी शैक्षणिक संस्थानों सहित शिक्षण संस्थानों, चाहे सरकार द्वारा सहायता प्राप्त हो या न हो, में उनके दाखिले से जुड़ा है। हालांकि यह प्रावधान अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों पर लागू नहीं होगा। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह आरक्षण मौजूदा आरक्षणों के अतिरिक्त होगा और हर श्रेणी में कुल सीटों की अधिकतम 10 फीसदी सीटों पर निर्भर होगा। इससे जुड़ा विधेयक नौ जनवरी को संसद से पारित किया गया था।
अधिसूचना के मुताबिक, इस अनुच्छेद और अनुच्छेद 16 के उद्देश्यों के लिए ‘आर्थिक रूप से कमजोर तबके’ वे होंगे जिन्हें सरकार समय-समय पर पारिवारिक आय और प्रतिकूल आर्थिक स्थिति के अन्य मानकों के आधार पर अधिसूचित करेगी।अनुच्छेद 16 के संशोधन में कहा गया, ‘‘इस अनुच्छेद में कोई भी चीज राज्य को धारा (4) में शामिल वर्गों के अलावा नागरिकों के आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के पक्ष में नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिए कोई प्रावधान करने से नहीं रोकेगा।’’ यह मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त होगा और हर श्रेणी में अधिकतम 10 फीसदी पदों पर निर्भर करेगा।
क्या हैं आरक्षण की शर्तें?
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस विधेयक में प्रावधान किया जा सकता है कि जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपए से कम और जिनके पास पांच एकड़ से कम कृषि भूमि है, वे आरक्षण का लाभ ले सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि ऐसे लोगों के पास नगर निकाय क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट या इससे ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए और गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 200 यार्ड से ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए।