रिपब्लिक टीवी के संस्थापक अर्नब गोस्वामी को ‘तरजीह’ देने का आरोप लगाने वाले वकील पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 100 रुपये का जुर्माना

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सुप्रीम कोर्ट ने अंग्रेजी समाचार चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ के एंकर और संस्थापक अर्नब गोस्वामी के मामले को सुनवाई से यह कहकर टाल दिया कि ‘यह स्वतंत्रता और मीडिया की स्वतंत्रता से संबंधित है।’ इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उस वकील पर 100 रुपये का जुर्माना भी लगाया जिसने कथित तौर पर अर्नब गोस्वामी को ‘तरजीह’ देने का आरोप लगाया था। क्योंकि उसने याचिकाकर्ता को भविष्य में उसके आचरण से सावधान रहने की चेतावनी दी थी।

अर्नब गोस्वामी

सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल जस्टिस अरुण मिश्रा और एस अब्दुल नज़ीर ने वकील रिपक कंसल की याचिका को खारिज करते हुए कहा, “अर्नब गोस्वामी के मामले के अनुसार, यह सक्षम प्राधिकारी के आदेश के मद्देनजर तत्काल सूचीबद्ध किया गया था। यह स्वतंत्रता और मीडिया की स्वतंत्रता से संबंधित है।” पीठ ने कहा, “हमें याचिका का मनोरंजन करने के लिए कोई आधार नहीं मिला। हम उम्मीद करते हैं कि याचिकाकर्ता अधिक सावधानी बरतें और पेशे की गरिमा के साथ जिएं।”

रीपक कंसल की याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा, “हम याचिकाकर्ता को खारिज करते हैं और याचिकाकर्ता पर 100 रुपये (केवल एक सौ रुपये) का हर्जाना लगाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील से कहा है कि आपको इस तरह का आरोप नहीं लगाना चाहिए।

बता दें कि, पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अप्रैल में उनके मामले की सुनवाई के दौरान रिपब्लिक टीवी के संस्थापक अर्नब गोस्वामी को कथित रूप से तरजीही व्यवहार के आरोप लगने के बाद सुप्रीम कोर्ट के जजों का गुस्सा फूट पड़ा था।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस अरुण मिश्रा, अब्दुल नज़ीर और एम आर शाह ने वकील रिपक कंसल (Reepak Kansal) से पूछा था, “आप अनावश्यक रूप से रजिस्ट्री को खींच रहे हैं। आप अपनी याचिका (ONORC) की तुलना अर्णब गोस्वामी की याचिका से कैसे कर सकते हैं? तात्कालिकता क्या थी? आप निरर्थक बातें क्यों कह रहे हैं?”

सुप्रीम कोर्ट इस साल अप्रैल में उस समय आलोचनाओं के घेरे में आ गया था जब उसने अर्नब गोस्वामी की याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया था। बता दें कि, पालघर मामले में गोस्वामी के कवरेज के दौरान धार्मिक घृणा को बढ़ावा देने के लिए कई जगहों पर अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद उन्होंने गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

अर्नब गोस्वामी पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने गोस्वामी को गिरफ्तारी से तीन हफ्ते की सुरक्षा दी थी। उसके बाद शीर्ष अदालत ने गोस्वामी की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उनके खिलाफ दायर एफआईआर को रद्द करने और सीबीआई को मामले को स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।

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