केरल के कथित लव जिहाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार(8 मार्च) को बड़ा फैसला सुनाते हुए हादिया उर्फ अखिला अशोकन के निकाह को फिर से बहाल कर दिया है।
न्यूज़ एजेंसी भाषा की ख़बर के मुताबिक, प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने साथ ही यह भी कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेन्सी(एनआईए) अपनी जांच जारी रख सकती है।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल अगस्त में राष्ट्रीय जांच एजेन्सी को हादिया के धर्म परिवर्तन के मामले की जांच का निर्देश दिया था क्योंकि एजेन्सी ने दावा किया था कि केरल में इस तरह का एक‘ तरीका’ सामने आ रहा है। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब हादिया के पति शफीन जहां ने उसकी शादी अमान्य करार देने और उसकी पत्नी को माता पिता के घर भेजने के उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 27 नवंबर को हादिया को उसके माता पिता की निगरानी से मुक्त करते हुए उसे कालेज में अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए भेज दिया था। हालांकि, हादिया ने कहा था कि वह अपने पति के साथ ही रहना चाहती है। उच्च न्यायालय ने पिछले साल मई में हादिया और शफीन के विवाह को लव जिहाद का एक नमूना बताते हुए इसे अमान्य घोषित कर दिया था।
बता दें कि, इससे पहले इस मामले में पिछले साल 9 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान राजनीतिक रंग देने पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई थी। दरअसल, कथित लव जिहाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दो वकीलों के बीच तीखी बहस हो गई थी। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लेने पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई थी।
केरल के मुस्लिम युवक शफीन की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने बीजेपी नेताओं पर केरल में सांप्रदायिक सद्भाव को खराब करने की कोशिश का आरोप लगाया था। जिस पर कोर्ट ने कहा कि वह उन दलीलों को स्वीकार नहीं करेगा जो मामले से नहीं जुड़ी हैं और मामले की सुनवाई 30 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी थी।