सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के पूर्व गृह मंत्री हरेन पांड्या की 2003 में अहमदाबाद में गोली मार कर हत्या किए जाने के मामले में शुक्रवार को 12 व्यक्तियों को दोषी ठहराया। न्यायाधीश अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने मामले में गुजरात ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और गुजरात हाई कोर्ट के 2011 के उस आदेश को दरकिनार कर दिया जिसने हत्या के 12 आरोपियों को बरी कर दिया था।
पीठ ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो और गुजरात सरकार की अपील पर यह फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने इस हत्याकांड में इन सभी दोषियों को हत्या के आरोपों से मुक्त कर दिया था। सीबीआई ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी में अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इस बीच, शीर्ष अदालत ने इस हत्याकांड की न्यायालय की निगरानी में नए सिरे से जांच कराने के लिए गैर सरकारी संगठन सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस की याचिका खारिज करते हुए उस पर 50,000 रूपए का जुर्माना भी लगाया। पीठ ने कहा कि इस मामले में अब किसी और याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा।
गुजरात हाई कोर्ट ने इस हत्याकांड में 12 व्यक्तियों को हत्या के आरोपों से बरी करते हुए इन सभी को आपराधिक साजिश रचने, हत्या का प्रयास करने और आतंकवाद रोकथाम कानून (पोटा) के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था।
निचली अदलात ने इन दोषियों को पांच साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा सुनाई थी। गुजरात में नरेंद्र मोदी सरकार में गृह मंत्री हरेन पांड्या की 26 मार्च, 2003 को अहमदाबाद में लॉ गार्डन के पास सुबह की सैर के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।