हमेशा अपने बयानों को लेकर मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ एक और तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि यदि नई आर्थिक नीति नहीं लाई जाती है तो भारत के लिए पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल है।
फाइल फोटो: सुब्रमण्यम स्वामीभाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने शनिवार (31 अगस्त) की सुबह ट्वीट कर लिखा, “यदि कोई नई आर्थिक नीति आने वाली नहीं है, तो 5 ट्रिलियन को अलविदा कहने के लिए तैयार हो जाओ। न तो अकेला साहस या केवल ज्ञान अर्थव्यवस्था को क्रैश होने से बचा सकता है। इसे दोनों की जरूरत है। आज हमारे पास कुछ नहीं है।”
सुब्रमण्यन स्वामी की यह टिप्पणी तब आई है जब एक दिन पहले ही 2019-20 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 5 प्रतिशत रह गई है। यह पिछले छह सालों में सबसे कम है।
Get ready to say good bye to ₹ 5 trillion if no new economic policy is forthcoming. Neither boldness alone or knowledge alone can save the economy from a crash. It needs both. Today we have neither
— Subramanian Swamy (@Swamy39) August 31, 2019
मोदी सरकार ने पंचर कर दी अर्थव्यवस्था: प्रियंका गांधी
आर्थिक विकास दर (जीडीपी ग्रोथ रेट) के पिछले सात साल के अपने न्यूनतम स्तर पर चले जाने को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि भोंपू बजाने वाली भाजपा सरकार ने अर्थव्यवस्था को हालत पंचर कर दी। उन्होंने यह सवाल भी किया कि ‘अर्थव्यवस्था को नष्ट करने’ का जिम्मेदार कौन है?
प्रियंका गांधी ने शनिवार की सुबह ट्वीट कर लिखा, “GDP विकास दर से साफ है कि अच्छे दिन का भोंपू बजाने वाली भाजपा सरकार ने अर्थव्यवस्था की हालत पंचर कर दी है। न GDP ग्रोथ है न रुपए की मजबूती। रोजगार गायब हैं। अब तो साफ करो कि अर्थव्यवस्था को नष्ट कर देने की ये किसकी करतूत है?”
GDP विकास दर से साफ है कि अच्छे दिन का भोंपू बजाने वाली भाजपा सरकार ने अर्थव्यवस्था की हालत पंचर कर दी है।
न GDP ग्रोथ है न रुपए की मजबूती। रोजगार गायब हैं।
अब तो साफ करो कि अर्थव्यवस्था को नष्ट कर देने की ये किसकी करतूत है?#EconomicSlowdown#EconomyCrisis
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) August 31, 2019
गौरतलब है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर 2019-20 की अप्रैल-जून तिमाही में घटकर पांच प्रतिशत रह गयी। यह पिछले सात साल का न्यूनतम स्तर है। विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट और कृषि उत्पादन की सुस्ती से जीडीपी वृद्धि में यह गिरावट आई है। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी है।
इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 की अप्रैल- जून अवधि में देश की आर्थिक वृद्धि दर सबसे निचले स्तर 4.9 प्रतिशत पर रही थी। एक साल पहले 2018-19 की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर आठ प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी। जबकि इससे पिछली तिमाही की यदि बात की जाये तो जनवरी से मार्च 2019 की तिमाही में वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत दर्ज की गई थी।