तमिलनाडु में द्रमुक सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने मसौदा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में प्रस्तावित तीन भाषा फॉर्मूले का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने इसे ठंडे बस्ते में डालने की मांग करते हुए दावा किया कि यह हिन्दी को ‘थोपने’ के समान है। तमिलनाडु सरकार ने मामले को शांत करऩे का प्रयास करते हुए कहा कि वह दो भाषा फॉर्मूले को जारी रखेगी। इस बीच शनिवार से ही केंद्र की नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट के खिलाफ ट्विटर पर #StopHindiImposition ट्रेंड कर रहा है।
इस बीच कोलकाता एयरपोर्ट पर एक आव्रजन अधिकारी के साथ हिंदी में बात करने से इंकार करने वाले एक बंगाली यात्री का एक पुराना वीडियो भी वायरल हो गया है। हिंदी को लेकर दोनों के बीच काफी देर तक बहस हो रहा है। वायरल वीडियो पिछले साल मई का बताया जा रहा है। स्टॉप हिंदी इंपोज़िशन (Stop Hindi Imposition) नामक एक फेसबुक पेज पर इस वीडियो को शेयर किया गया था, जिसे करीब 6 लाख लोग देख चुके हैं।
वीडियो में कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डे पर एक हिंदी बोलने वाला आव्रजन अधिकारी हिंदी में बंगाली यात्री से उसके पासपोर्ट को लेकर स्पष्टीकरण मांग रहा है। जिस पर, बंगाली यात्री बंगाली में यह कहते हुए सुनाई दे रहा है कि मुझे समझ में नहीं आया कि आपने अभी क्या कहा है। निराश आव्रजन अधिकारी अपने सहयोगी की ओर मुड़ता है और बंगाली यात्री से उसकी भाषा में सवाल पूछने को कहता है। इसके कुछ देर आव्रजन अधिकारी और बंगाली यात्री के बीच भाषा को लेकर एक जोरदार बहस शुरू हो जाती है।
When Hindian meets a proud Bengali at Kolkata airport….[ Refusing to provide service in Bangla, this Hindian employee tried to manipulate the situation with a Hindhi national language crap.]©Garga_Chatterjee#StopHindiImposition #HindiGoBack
Posted by Stop Hindi Imposition on Friday, May 18, 2018
केंद्र के हिंदी फॉर्मूले पर तमिलनाडु की पार्टियों में घमासान
तमिलनाडु के नेताओं ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के प्रस्तावों पर आपत्ति जाहिर की है। द्रमुक प्रमुख एम के स्टालिन ने कहा कि तीन भाषा फॉर्मूला ”प्राथमिक कक्षा से कक्षा 12 तक हिंदी पर जोर देता है। यह बड़ी हैरान करने वाली बात है और यह सिफारिश देश को ”बांट” देगी। मसौदा नीति जानेमाने वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली एक समिति ने तैयार की है जिसे शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया।
द्रमुक नेता स्टालिन ने तमिलनाडु में 1937 में हिंदी विरोधी आंदोलनों को याद करते हुए कहा कि 1968 से राज्य दो भाषा फॉर्मूले का ही पालन कर रहा है जिसके तहत केवल तमिल और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है। उन्होंने केंद्र से सिफारिशों को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि यह तीन भाषा फॉर्मूले की आड़ में हिंदी को ”थोपना” है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के सांसद संसद में शुरू से ही इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे।
उन्होंने अन्नाद्रमुक पर निशाना साधते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी इसका कड़ा विरोध करें और ऐसा नहीं करने पर अपनी पार्टी के नाम से ”अन्ना” और ”द्रविड़” शब्द हटा दें। भाकपा के साथ ही लोकसभा चुनाव में भाजपा की सहयोगी पीएमके ने भी आरोप लगाया कि तीन भाषा फॉर्मूले की सिफारिश ”हिंदी थोपना” है और वह चाहती हैं कि इसे खारिज किया जाए।
एमएनएम प्रमुख कमल हासन ने कहा, ”चाहे भाषा हो या कोई परियोजना हम नहीं चाहते कि वह हम पर थोपी जाए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इसके खिलाफ विधिक उपाय तलाशेगी। राज्य के शिक्षा मंत्री के ए सेनगोतैयां ने पुतिया तलैमुराई तमिल समाचार चैनल से कहा, ”तमिलनाडु में अपनाये जा रहे दो भाषा फॉर्मूले में कोई परिवर्तन नहीं होगा। केवल तमिल और अंग्रेजी ही राज्य में पढ़ायी जाती रहेगी।”
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने तमिल में किये गए विभिन्न ट्वीट में कहा, ”स्कूलों में तीन भाषा फार्मूले का क्या मतलब है? इसका मतलब है कि वे हिंदी को एक अनिवार्य विषय बनाएंगे….।” उन्होंने ट्वीट किया, ”भाजपा सरकार का असली चेहरा उभरना शुरू हो गया है।” इस बीच ट्विटर पर #स्टॉपहिंदीइंपोजिशन, #टीएनएअगेंस्टहिंदीइंपोजिशन ट्रेंड करने लगा।
सरकार ने दी सफाई
नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को लेकर विवाद पर मौजूदा सूचना एवं प्रसारण और पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सफाई दी है। दक्षिण भारतीय राज्यों में कथित तौर पर हिंदी भाषा थोपने को लेकर जारी विरोध पर जावड़ेकर ने कहा कि ऐसी कोई भी योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी पर कोई भाषा थोपने का विचार नहीं है। हम देश की सभी भाषाओं को प्रमोट करना चाहते हैं। उन्होंने त्रिभाषा व्यवस्था को लेकर कहा कि अभी कमेटी ने इस पर प्रस्ताव ही तैयार किया है। इसे पब्लिक के फीडबैक के बाद सरकार की ओर से लागू करने का फैसला लिया जाएगा।
नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट प्रकाश जावडे़कर के मानव संसाधन विकास मंत्री रहते हुए तैयार किया गया था। नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मानव संसाधन विकास मंत्रालय का जिम्मा उत्तराखंड के पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक को सौंपा गया है। शिक्षा नीति के लागू होने से पहले ही तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कझगम (डीएमके) के सांसदों ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि यदि हिंदी को थोपने का प्रयास किया तो फिर आंदोलन होगा।
I&B Minister Prakash Javadekar on reported proposal of 3-language system in schools: There is no intention of imposing any language on anybody, we want to promote all Indian languages. It's a draft prepared by committee, which will be decided by govt after getting public feedback pic.twitter.com/t16JC3P8bf
— ANI (@ANI) June 1, 2019
केंद्र की नई शिक्षा नीति के मसौदे में क्या है प्रस्ताव
दरअसल, नई शिक्षा नीति के मसौदे में 3 भाषाएं पढ़ाने की बात हो रही है, जिसमें हिंदी भी शामिल है। अगर नई शिक्षा नीति लागू हुई तो हिंदी नहीं बोलने वाले राज्यों को क्षेत्रीय भाषा, अंग्रेज़ी और हिंदी को शामिल करना पड़ेगा। इस नीति के लागू न किए जाने को लेकर विरोध शुरू हो चुका है। दक्षिण के नेताओं और सिविल सोसायटी ने कहा कि इसे थोपा जा रहा है। प्रस्ताव में कहा गया है कि प्री-स्कूल और पहली क्लास में बच्चों को तीन भारतीय भाषाओं के बारे में भी पढ़ाना चाहिए, जिसमें वह इन्हें बोलना सीखें और इनकी स्क्रिप्ट पहचाने और पढ़ें।
तीसरी क्लास तक मातृभाषा में ही लिखें और उसके बाद दो और भारतीय भाषाएं लिखना भी शुरू करें। अगर कोई विदेशी भाषा भी पढ़ना और लिखना चाहे तो यह इन तीन भारतीय भाषाओं के अलावा चौथी भाषा के तौर पर पढ़ाई जाए। शनिवार सुबह से सोशल मीडिया पर #StopHindiImposition यानी हिंदी को जबरदस्ती लागू किए जाने के विरोध में एक हैशटैग टॉप पर ट्रेंड कर रहा है। इस ट्रेंड के पीछे तमेलियन यानी तमिलनाडु के लोग हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये हैशटैग नई प्रस्तावित शिक्षा नीति में शामिल उस बात के खिलाफ है जिसमें शिक्षा के माध्यम से जुड़ी तीन भाषाओं में हिंदी के भी शामिल किए जाने की बात है।