शुक्रवार (23 मार्च) को हुए राज्यसभा चुनावों में केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जबदस्त सफलता हासिल हुई है। उत्तर प्रदेश में दिलचस्प राजनीतिक घटनाक्रम के बीच बीजेपी ने सात राज्यों में राज्यसभा की बची हुई 26 सीटों में से 12 सीटें जीत लीं। अब बीजेपी संसद के उच्च सदन में कुल 12 सीटें जीतने के बाद राज्यसभा की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। पार्टी के 38 वर्ष के इतिहास में पहली बार सदन में उसके 69 सदस्य हो गए हैं। हालांकि बीजेपी की अगुआई वाला एनडीए अब भी 245 सदस्यीय उच्च सदन में बहुमत से दूर ही रहेगा। बता दें कि बीजेपी का गठन वर्ष 1980 में हुआ था।
राज्यसभा में बहुमत के लिए 126 का आंकड़ा चाहिए। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के राज्यसभा में अब कुल सदस्य 50 रह जाएंगे। पहले सदन में बीजेपी के 58 और कांग्रेस के 54 सदस्य थे। शुक्रवार को सात राज्यों में राज्यसभा की 26 सीटों के लिए हुए मतदान में बीजेपी को सर्वाधिक 12 सीटों पर विजय हासिल हुई। कांग्रेस को पांच, तृणमूल कांग्रेस को चार, जदयू (शरद गुट) को एक और तेलंगाना राष्ट्र समिति को तीन सीटें मिलीं।
गौरतलब है कि इस वर्ष 17 राज्यों से राज्यसभा की 59 सीटें खाली हुई थीं। इनमें से 10 राज्यों में 33 प्रत्याशी पहले ही निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। इनमें बीजेपी के 16 थे। इस प्रकार कुल 59 खाली हुई टों में से बीजेपी को 28 मिलीं। जबकि कांग्रेस को 10, बीजद को तीन, तेदेपा, राजद और जदयू को दो-दो और वाइएसआर कांग्रेस, राकांपा एवं शिवसेना को एक-एक सीट हासिल हुई।
जीतने वाले प्रमुख नामों में वित्त मंत्री अरुण जेटली और बीजेपी नेता जीवीएल नरसिम्हा राव, सपा की जया बच्चन (सभी उत्तर प्रदेश से), कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी और बीजेपी के राजीव चंद्रशेखर प्रमुख हैं। शरद यादव के धड़े वाले जदयू की राज्य इकाई के अध्यक्ष एमपी वीरेंद्र कुमार केरल से राज्यसभा के लिए चुने गए। कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार के बीजेपी नीत एनडीए से हाथ मिलाने के विरोध में संसद के उच्च सदन से इस्तीफा दे दिया था। जिसके चलते एक सीट रिक्त हुई थी।
उत्तर प्रदेश की 10 में से नौ सीटें जीतीं
सबसे रोचक मुकाबला उत्तर प्रदेश में देखने को मिला, जहां देर रात तक शह मात का खेल चलता रहा। हालांकि बीजेपी की चाक चौबंद रणनीति सपा, बसपा व कांग्रेस गठजोड़ की तैयारियों पर भारी पड़ी। राज्य में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए हुए चुनाव में बीजेपी नौवीं सीट भी कब्जा करने में सफल रही। बीजेपी की कारगर रणनीति के बूते उत्तर प्रदेश में किसी समय धुर विरोधी रहे सपा और बसपा की नई-नई दोस्ती भी यहां बसपा उम्मीदवार को जिताने के काम नहीं आई और राज्य की दस रास सीटों में से 9 बीजेपी की झोली में चली गईं।
उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा द्वारा निर्वाचन आयोग से दो मत निरस्त करने की मांग को लेकर शिकायत किए जाने के कारण करीब दो घंटे देर से शुरू हुई मतगणना के नतीजों ने विपक्ष को निराश कर दिया। चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार अरुण जेटली, डॉक्टर अशोक बाजपेयी, विजयपाल सिंह तोमर, सकलदीप राजभर, कांता कर्दम, डॉक्टर अनिल जैन, जीवीएल नरसिम्हा राव, हरनाथ सिंह यादव तथा अनिल कुमार अग्रवाल विजयी करार दिए गए।
अग्रवाल ने द्वितीय वरीयता वाले मतों के आधार पर बाजी मार ली। सपा की जया बच्चन चुनाव जीत गईं जबकि बसपा के भीमराव अंबेडकर को निराशा हाथ लगी। दूसरी वरीयता के वोटों के गिनती के बाद बीजेपी के अनिल अग्रवाल को विजयी घोषित किया गया। बता दें कि कुछ दिन पहले सपा और बसपा की संयुक्त ताकत के आगे बीजेपी गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव हार गई थी।
इससे पहले पार्टी के नौवें प्रत्याशी अनिल अग्रवाल और बसपा के उम्मीदवार डॉ. भीमराव अंबेडकर में कांटे का मुकाबला रहा। दूसरी वरीयता के मतों की गणना के बाद अग्रवाल को विजयी घोषित किया गया। इससे पहले मतगणना शुरू होने में विलंब हुआ, क्योंकि सपा-बसपा ने दो विधायकों के मतों को लेकर चुनाव आयोग में आपत्ति दाखिल की थी। सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद आयोग ने उन आपत्तियों को खारिज कर दिया। चुनाव में भाजपा और बसपा के एक-एक वोट अवैध भी घोषित हुए।
देखिए, भीमराव अंबेडकर की हार पर लोगों ने कैसे लिए मजे
बीएसपी उम्मीदवार डॉ. भीमराव अंबेडकर की हार पर सोशल मीडिया यूजर्स बीजेपी पर जमकर तंज कस रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ श्रीवास्तव ने फेसबुक पर लिखा है, “बीजेपी ने हराया भी तो किसे- भीमराव अंबेडकर को।” वहीं कुछ यूजर्स अबेंडकर की हार पर बीजेपी को दलित विरोधी तक करार दे रहे हैं। देखिए कुछ मजेदार प्रतिक्रियाएं:-
आज भीमराव अंबेडकर को पता चला
ज्यादा नंबर लेकर फेल होने का दर्द
आरक्षण मुर्दाबाद— uday bhanu Singh advocate (@uday8788) March 23, 2018
https://twitter.com/vijayrpandey/status/977241345227153408
जो BSP के उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर की हार पर BJP को दलित विरोधी बता रहे हैं उन्हें बता दूं ?
संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर 2 बार चुनाव लड़े थे और उन्हें चुनाव हारने वाले "1951-52 में कांग्रेस" और "1954 में समाजवादी नेता" थे ??
आज इनसे मायावती गठबंधन कर रही हैं ???
— संजय कुमार चमोली (@champ4561) March 24, 2018
एक दलित (भीमराव आंबेडकर) आज फिर संघ की मनुवादी विचारधारा का शिकार हो गया।#RajyaSabhaElections
@OfficeOfAS_ @BahiskritAwaaz @MLArajeshSP @yadav4indian
— Mayank Yadav “MANKU” (@MayankYadavAdv) March 23, 2018
https://twitter.com/DrJawed3/status/977395386842210305
एक दलित को राज्यसभा जाने से रोकने के लिए भाजपा ने साम दाम दंड भेद सब लगा दिया है ।
ये दलितों से नफ़रत है या डर है ?
— Pankhuri Pathak پنکھڑی (@pankhuripathak) March 22, 2018
जब हार सुनिश्चित है तो "बाबा साहब भीमराव अंबेडकर" के नाम से मिलते नाम वाले को बहुजन समाज पार्टी क्यों राज्यसभा चुनाव में उतार रही है ?
भीमराव अम्बेडकर नाम पूर्व विधायक की हार को मायावती "बाबा साहब भीमराव अंबेडकर" की हार से जोड़कर अपने दलित वोटरों की सहानभूति लेना चाहती हैं ? https://t.co/NjgIOE0wtA— Sushil Pandey (@iSushilPandey) March 7, 2018
बीजेपी ने जिन 9 को यूपी से राज्यसभा भेजा उसमे 1 दलित भी है, असल दलित विरोधी तो सपा है जिसने धनकुबेर जया को जितवाया पर भीमराव आंबेडकर को छोड़ दिया
— Chowkidar rajinder verma (@rajinde57748157) March 24, 2018