केरल श्रमजीवी पत्रकार संघ (केयूडब्ल्यूजे) ने जेल में बंद पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के विरूद्ध उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दााखिल किये गए आरोपपत्र पर आश्चर्य प्रकट किया है जिसमें दिल्ली के इस पत्रकार द्वारा दी गई खबरों एवं साक्षात्कारों को कथित रूप से शामिल किया गया है। केयूडब्ल्यूजे ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्रवाई कुछ नहीं बल्कि ‘पत्रकारिता को अपराध’ मानना है।
खबरों के अनुसार उत्तर प्रदेश के विशेष कार्यबल द्वारा दाखिल किए गए 5000 पन्नों के आरोप पत्र में सिद्दिकी कप्पन की खबरें एवं आलेख भी हैं। कोर्ट में दाखिल की गई एसटीएफ की चार्जशीट में लिखा गया है कि उन्होंने मुसलमानों को उकसाने का काम किया। इसके अलावा बताया गया है कि उनकी माओवादियों और कम्युनिस्टों के साथ सहानुभूति भी है।
यूपी एसटीएफ ने 5,000 पन्नों की चार्जशीट 23 जनवरी, 2021 को दायर की गई थी। इसके 36 आर्टिकल्स भी हैं जो सिद्दीकी कप्पन ने मलयालम मीडिया हाउस के लिए लिखे थे। ये आर्टिकल्स कोविड के दौरान निजामुद्दीन मरकज की सभा पर, सीएए विरोध-विरोध प्रदर्शन, पूर्वोत्तर दिल्ली दंगे, अयोध्या में राम मंदिर और देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद शरजील इमाम के खिलाफ चार्जशीट पर थे।
केयूडब्ल्यूजे ने एक बयान में कहा, ‘‘यह संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की आजादी की गांरटी की भावना के विरूद्ध है। हम माननीय उच्चतम न्यायालय से इस मामल में दखल देने और उत्तर प्रदेश पुलिस के शर्मनाक कृत्य को खारिज करने की अपील करते हैं।” उसने यह भी कहा है कि उसे इस बात का भी रंज है कि आरोपपत्र की प्रति सिद्दिकी कप्पन को नहीं दी गई जबकि वह करीब एक साल से जेल में है।
बता दें कि, दिल्ली में कार्यरत पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और उनके कथित सहयोगियों को पांच अक्टूबर 2020 को मथुरा पुलिस ने उस समय गिरफ्तार किया था, जब वह हाथरस में 19 वर्षीय दलित युवती के साथ हुए कथित रूप से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में उसके गांव जा रहे थे। इस लड़की ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार का शिकार होने के बाद उपचार के दौरान एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
कप्पन और तीन अन्य की गिरफ्तारी के दो दिन बाद यूपी पुलिस ने उनके खिलाफ राजद्रोह और यूएपीए के तहत विभिन्न आरोपों में अन्य मामला दर्ज किया था। (इंपुट: भाषा के साथ)