जामिया छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई ‘अवैध और अमानवीय’: शिवसेना

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शिवसेना ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों पर की गई दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को बुधवार को “अवैध और अमानवीय” करार दिया। साथ ही यह जानना चाहा कि ऐसे परिदृश्य में क्या भाजपा के पास सिख विरोधी दंगों के खिलाफ आवाज उठाने का नैतिक अधिकार बचता है।

फाइल फोटो: सोशल मीडिया

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में कहा गया, ‘‘जब स्थिति ऐसे मोड़ पर पहुंच जाए जहां आपको अपने ही देश के छात्रों पर गोलियां चलानी पड़ें, तो यह समझ जाना चाहिए कि चीजें नियंत्रण से निकल चुकी हैं।’’ संपादकीय में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के लिए पाकिस्तान को दोष देने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की गई। शिवसेना की यह टिप्पणी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के जामिया के छात्रों पर की गई पुलिसिया कार्रवाई को 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड से जोड़े जाने के एक दिन बाद आई है।

‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया, ‘‘दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई अवैध और अमानवीय थी। अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग में इससे कुछ अलग नहीं किया था।’’ पार्टी ने पूछा कि क्या भाजपा के पास 1984 के सिख विरोधी दंगों पर बोलने का नैतिक आधार बचता है?

शिवसेना ने कहा कि हिंदुत्व के प्रतीक और स्वतंत्रता सेनानी वीडी सावरकर के लिए भारत रत्न की मांग पर घड़ियाली आंसू बहा रही भाजपा को पहले यह बताना चाहिए कि संशोधित नागरिकता कानून को लेकर देश में इतनी अशांति क्यों है। महाराष्ट्र में नये नागरिकता कानून को लागू करने की भाजपा की मांग का मजाक उड़ाते हुए शिवसेना ने कहा कि यह और कुछ नहीं बल्कि राज्य में सत्ता जाने का ‘मानसिक तनाव’ है।

पार्टी ने कहा, ‘‘लोगों के सामने और भी कई जरूरी मुद्दे हैं और हम उन्हें सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें सीएए से ज्यादा महाराष्ट्र के करीब 11 करोड़ नागरिकों की चिंता है।’’

गौरतलब है कि रविवार, 15 दिसंबर को जामिया नगर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया गया था। छात्रों के प्रदर्शन में बाहर के भी कुछ लोग शामिल हुए थे। प्रदर्शन के दौरान पहले प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई। इसके बाद कुछ लोगों ने चार डीटीसी बसों में आग लगा दी थी। आगजनी के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था।

इस दौरान पुलिस जामिया कैंपस में घुस गई थी। आरोप है कि, इस दौरान पुलिस ने छात्र-छात्राओं को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था। पुलिस पर लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों को पीटने का आरोप लगा था। वहीं, छात्रों पर आरोप लगा था कि उन्होंने हिंसा की। उसी दिन छात्रों ने बयान जारी कर कहा था कि हिंसा में एक भी छात्र शामिल नहीं था। बावजूद इसके पुलिस ने छात्र और छात्राओं की पिटाई की। (इंपुट: भाषा के साथ)

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