राजस्थान की दो लोकसभा और एक विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे गुरुवार (1 फरवरी) को आए। राज्य में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को तगड़ा झटका लगा है। सभी सीटों पर बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी है।
फोटो- ANIइस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस शर्मनाक हार के बाद जहां एक तरफ राजस्थान में बीजेपी विरोध के सुर उठने लगे है वहीं, दूसरी और केंद्र और महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी इस हार पर तंज कसा है।
समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि, ‘गुजरात चुनाव ट्रेलर था और राजस्थान उपचुनाव के नतीजे इंटरवल हैं। अब पूरी फिल्म 2019 में दिखाई जाएगी। 2019 लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने के हमारे संकल्प से पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। एक बार तीर जब बाहर निकल जाता है तो उसके लौटने की संभावना नहीं रहती।’
बता दें कि कुछ दिन पहले ही शिवसेना ने 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं करने की घोषणा कर दी।
Gujarat elections were a trailer and #RajasthanByPoll the interval, now the film we will show in 2019. No question of going back from our resolution of fighting alone in 2019, once arrow has left the bow it doesn't come back: Sanjay Raut,Shiv Sena pic.twitter.com/t1vujXEy0d
— ANI (@ANI) February 2, 2018
राजस्थान में BJP की करारी हार
बता दें कि राजस्थान और पश्चिम बंगाल की कुल तीन लोकसभा सीटों और दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे गुरुवार (1 फरवरी) को आ गए। राजस्थान में जहां कांग्रेस ने लोकसभा की दो और विधानसभा की एक सीट पर जीत दर्ज कर ली है वहीं पश्चिम बंगाल की दोनों सीटों पर तृणमूल कांग्रेस ने जीत दर्ज की है।
निर्वाचन आयोग के अनुसार, मांडलगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी विवेक धाकड़ को जीत मिली है। धाकड़ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी शक्ति सिंह हाडा को 12,976 मतों के अंतर से हराया है। अलवर सीट से कांग्रेस डॉ. करण सिंह यादव ने बीजेपी के जसवंत सिंह यादव को करीब 1,96,496 वोटों के अंतर से हरा दिया।
वहीं अजमेर लोकसभा सीट से कांग्रेस के रघु शर्मा ने राम स्वरूप लांबा को करीब 80 हजार वोटों के अंतर से पराजित कर दिया। पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बेहद बुरी हार देख चुकी कांग्रेस के लिए उपचुनावों में इस तरह का प्रदर्शन संजीवनी का काम करेगी। प्रदेश में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा उपचुनाव के परिणाम दोनों दलों के लिए काफी मायने रखते हैं।