राफेल डील मामले को लेकर मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (10 अप्रैल) को राफेल सौदे से संबंधित कुछ नए दस्तावेजों को आधार बनाये जाने पर केंद्र की प्रारंभिक आपत्ति को ठुकरा दिया। इन दस्तावेजों पर केंद्र सरकार ने ‘विशेषाधिकार’ का दावा किया था।
केंद्र ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने विशेष दस्तावेज गैरकानूनी तरीके से हासिल किए और 14 दिसम्बर, 2018 के निर्णय को चुनौती देने के लिए इसका प्रयोग किया गया। इस फैसले में न्यायालय ने फ्रांस से 36 राफेल विमान सौदे को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की एक पीठ ने कहा, ‘हम केन्द्र द्वारा समीक्षा याचिका की स्वीकार्यता पर उठाई प्रारंभिक आपत्ति को खारिज करते हैं।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि 14 दिसंबर को राफेल विमान की खरीद से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज करने संबंधी करने के फैसले पर दायर सभी पुनर्विचार याचिकाओं पर गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। न्यायालय ने कहा कि वह राफेल पर पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई के लिए तारीख तय करेगा।
शीर्ष अदालत ने 14 मार्च को उन विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों की स्वीकार्यता पर केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला सुरक्षित रखा था जिन्हें पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा वकील प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका में शामिल किया था।
राफेल मामले में समीक्षा याचिका दाखिल करने वालों में से एक आरुण शौरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, हमारा तर्क यह था कि क्योंकि दस्तावेज रक्षा से संबंधित हैं, इसलिए उनकी जांच करनी चाहिए। कोर्ट ने साक्ष्य मांगे और हमने पेश कर दिया। इसलिए कोर्ट ने हमारी दलीलों को स्वीकार कर लिया है और सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया है।
Arun Shourie, who filed review plea in Rafale deal verdict: Our argument was that because the documents relate to Defence you must examine them. You asked for these evidence & we have provided it. So Court, has accepted our pleas & rejected the arguments of the Govt. pic.twitter.com/5S2xI0lkiV
— ANI (@ANI) April 10, 2019