जानेमाने चिंतक, लेखक और पत्रकार मुजफ्फर हुसैन का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार (13 फरवरी) को निधन हो गया। वह 78 साल के थे। परिवार में मौजूद सूत्रों ने बताया कि हुसैन ने हीरानंदानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्हें 30 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया था।
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, उन्हें आज सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। हिंदुत्व समर्थक लेखक हुसैन की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी प्रशंसा की थी। उन्हें 2002 में पद्मश्री से नवाजा गया था। आरएसएस के कोंकण प्रांत की इकाई के प्रमुख प्रमोद बोपट ने हुसैन के निधन पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि वह लोगों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे।
दैनिक जागरण के मुताबिक, मुजफ्फर हुसैन हिंदी में लिखने वाले ऐसे मुस्लिम लेखक थे, जो सदैव मुस्लिम समाज को हिंदुओं के साथ समरस होने की वकालत करते रहे। अपने इसी नजरिये के साथ देश के कई अखबारों में वह स्तंभ लिखते रहे। उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं।
इस्लाम और शाकाहार नामक उनकी पुस्तक काफी चर्चित रही है। इसमें उन्होंने कुरान के विभिन्न अध्यायों में हिंसा से दूर रहने की जो सीख दी गई है, और हदीस व कुरान में किस हद तक शाकाहार का समर्थन किया गया है, उसे बहुत कुशलता प्रस्तुत किया है।