नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में बहुसंख्यक मुसलमानों द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए निर्धारित लाभ उठाने का आरोप लगाने वाली एक जनहित याचिका पर सोमवार(6 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल नहीं करना मोदी सरकार को भारी पड़ गया।
जवाब नहीं देने पर शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए 30,000 रुपए हर्जाना भरने का निर्देश दिया है। आपको बता दें कि इससे पहले भी इसी मामले में शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार पर 15-15 हजार का जुर्माना लगाया था।
प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति एन वी रमण की पीठ ने दो सप्ताह के अंदर जुर्माना भरने का आदेश देते हुए केंद्र के अधिवक्ता को जवाब दाखिल करने की इजाजत दे दी। पीठ ने कहा कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है और केंद्र को जवाब दायर करने का आखिरी मौका दिया जाता है।
दरअसल, जम्मू के याचिकाकर्ता वकील अंकुर शर्मा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि राज्य में अल्पसंख्यकों को दिए जाने वाले सरकारी योजनाओं का लाभ वे मुसलमान उठा रहे हैं जो जम्मू कश्मीर में ‘बहुसंख्यक’ हैं। शर्मा ने इस पर रोक लगाने की मांग की है।