दक्षिण भारतीय व्यंजनों की श्रृंखला सरवण भवन के संस्थापक पी. राजगोपाल का गुरुवार को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। दिल का दौरा पड़ने के बाद राजगोपाल को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। वह एक कर्मचारी की हत्या के मामले में दोषी था। कर्मचारी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पी राजगोपाल को समर्पण के लिए और समय देने से इनकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काटने के लिए बीते मंगलवार यानी नौ जुलाई को ही सत्र अदालत में राजगोपाल ने समर्पण किया था। जेल में दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। समर्पण करने के कुछ दिन बाद उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मंगलवार को अदालत के निर्देश के बाद राजगोपाल को सरकारी ‘स्टेनली मेडिकल कॉलेज अस्पताल’ से एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका गुरुवार सुबह करीब 10 बजे निधन हो गया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए और समय की मांग करने वाली उसकी याचिका को खारिज करने के बाद दक्षिण भारतीय खाने के लिए मशहूर सरवण भवन के संस्थापक राजगोपाल ने अन्य आरोपियों के साथ एक स्थानीय अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया था।
राजगोपाल के बेटे की याचिका पर मद्रास हाई कोर्ट ने भी एक अंतरिम आदेश जारी किया था। राजगोपाल को अक्टूबर, 2001 में एक कर्मचारी की हत्या के मामले में सजा सुनाई गई थी। राजगोपाल अपने एक कर्मचारी की हत्या करके उसकी पत्नी से शादी करना चाहता था।
इस मामले में उम्रकैद की सजा काटने के लिए उसे सात जुलाई को समर्पण करना था। पी. राजगोपाल ने सजा से बचने के लिए निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में अपील की, मगर वहां से भी उसे राहत नहीं मिली, कोर्ट ने उन्हें दोषी मनाते हुए आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है।