राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार (21 अप्रैल) को कहा कि संस्कृत भाषा केवल अध्यात्म, दर्शन या साहित्य तक ही सीमित नहीं है बल्कि विशेषज्ञों का मानना है कि यह मशीनी भाषा और कृत्रिम बुद्धिमता में इस्तेमाल के साथ एल्गोरिथम (गणितीय समस्याओं के समाधान) के लिए भी उपयुक्त है। राष्ट्रपति ने श्री लाल बहादुर राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के 17 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।
Photo: @rashtrapatibhvnदैनिक जागरण के मुताबिक राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी बौद्धिक क्षमता के विकास में संस्कृत भाषा, साहित्य और विज्ञान ने महत्वपूर्ण अध्याय जोड़े हैं। संस्कृत में भारत की आत्मा झलकती है। संस्कृत बहुत सारी भाषाओं की जननी है। सबसे बड़ी बात यह है कि जो संदेश संस्कृत भाषा के जरिये दिए गए हैं वे विश्व के कल्याण के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी हैं। यह ज्ञान और विज्ञान की भाषा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृत के जरिये वैज्ञानिकों और गणितज्ञों ने अपने ज्ञान और आविष्कारों को आगे बढ़ाया है। जिन विभूतियों ने ये कार्य किए उनमें आर्यभट्ट, वराह मिहिर, भाष्कर, चरक और सुश्रुट प्रमुख हैं। अब योग पूरी दुनिया को अपना महत्व बता रहा है। 21 जून को पूरी दुनिया योग दिवस मनाती है। यह भी संस्कृत और प्राचीन भारत की कलाओं से जुड़ा क्षेत्र है। इसी प्रकार से दुनिया में आयुर्वेद का भी महत्व बढ़ रहा है।
जिसका मूल संस्कृत में विद्यमान है। तमाम विद्वानों ने माना है कि संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से ज्यादा तार्किक और नियमबद्ध है। इसीलिए यह मशीनी ज्ञान के विकास और आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस को बढ़ावा देने में ज्यादा सहायक है। राष्ट्रपति ने संस्कृति भाषा को जन-जन की भाषा बनाने के लिए और ज्यादा प्रयासों पर जोर दिया।