एक चौकाने वाले खुलासे में मडगांव बम विस्फोट मामले में सनातन संस्थान की कथित भूमिका की जांच करने वाले एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा है कि अगर राज्य की बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार ने संगठन पर प्रतिबंध लगाने की सलाह पर काम किया है तो आज पत्रकार गौरी लंकेश जीवित रहते।
Photo: India Today video screen grabगोवा के फोंडा में SHO रह चुके सीएल पाटिल ने इंडिया टुडे को बताया, ‘राजनीतिक दबाव था, अगर राजनीतिक दबाव ना होता तो इस पर (सनातन संस्था ) पर बहुत पहले ही बैन लग गया होता।’ फोंडा में ही सनातन संस्था का मुख्यालय है। पाटिल ने ये भी बताया कि संगठन को बैन करने के लिए उनका खुद का प्रस्ताव आखिर कैसे ठुकरा दिया गया था।
पाटिल ने खुलासा किया कि, ‘जो ये घटना हुई थी, मडगांव((2009 में बम विस्फोट) में हुई थी। कुछ और घटनाएं भी हुईं थीं महाराष्ट्र में, उससे पहले भी उनके खिलाफ 7-9 केस हुए।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसे संगठन जो सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ रहे हैं उन्हें बंद करना चाहिए, मैंने ये लिखा था (फाइल में)। ये भी बताया था कि महाराष्ट्र में उनके खिलाफ कहां-कहां केस लगे।’
पाटिल के मुताबिक उन्होंने संगठन को बैन करने का जो सुझाव भेजा था वो बिना किसी कार्रवाई के वापस आ गया था। पाटिल ने इंडिया टुडे से कहा, ‘मैंने ठीक यही लिखा था कि कम से कम गोवा में इस संगठन पर बैन लगना चाहिए क्योंकि गोवा शांतिपूर्ण राज्य है। मैंने डिप्टी एसपी को ये सिफारिश भेजी थी, उन्होंने इसे डीजीपी को भेजा, लेकिन ये वापस आ गई।’
पाटिल ने कहा कि ये सब गोवा के एक ताकतवर नेता के दबाव की वजह से हुआ। पाटिल ने दावा किया कि, ‘सबसे पहले ये इतनी राजनीतिक बात है, कोई पुलिसवाला अंदर (संस्था के) नहीं जा सकता, वहां कोई जांच नहीं होती। धर्म का नाम आया तो सब चुप बैठते हैं। मंत्रालय और कानून प्रवर्तन एजेंसी दोनों शामिल हैं (सनातन संस्थान की रक्षा में)।’
हिंदुत्ववादी राजनीति पर मुखर नजरिया रखने वाली बेंगलुरु की वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के पीछे जैसे ही सनातन संस्था का नाम सामने आया था, उसके बाद लगातार इस बात को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे कि यह संस्था किन-किन गतिविधियों में लिप्त है। लेकिन अब सनातन संस्था के बारे में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसे जानकर आप भी चौक जाएंगे।
इंडिया टुडे के स्टिंग ऑपरेशन में सनातन संस्था से जुड़े लोगों ने इस बात को स्वीकार किया है कि वे 2008 महाराष्ट्र बम धमाकों में शामिल थे। स्टिंग ऑपरेशन में सनातन संस्था के साधक मंगेश दिनकर निकम और रिभाऊ कृष्ण दिवेकर ने 2008 में महाराष्ट्र के थिएटरों के बाहर बम धमाकों में अपनी भूमिका कबूली है।
मंगेश दिनकर निकम ने कैमरे के सामने कहा, ‘वाशी में था, तो मैंने (IED) रखा था, रखकर आ गया। मेरा इतना रोल था।’ निकम ने कहा, ‘वाशी केस जिसमें हम शामिल थे, वहां लोग नाटक में हमारे देवी-देवताओं का उपहास कर रहे थे। वो बस बंद हो जाए, इसके लिए हमने कोशिश की थी, उसके आगे कुछ नहीं।’
लेकिन निकम सनातन संस्था से अकेला शख्स नहीं जिसने आतंकी प्लॉट में अपनी भूमिका होना कबूल किया। 58 वर्षीय हरिभाऊ कृष्णा दिवेकर भी सनातन संस्था का अनुयाई है जिसने कबूल किया कि 2008 के बम धमाकों में उसकी ज्यादा बड़ी भूमिका थी जिसके लिए अभियोजन उसे दोषी ठहराने में नाकाम रहा।
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Who is shielding Sanatan Sanstha? We bring you explosive details!
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सनातन संस्था पर हुए इस खुलासे के बाद महाराष्ट्र सरकार हरकत में आ गई और कार्रवाई का आश्वासन दिया। महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री दीपक केसरकर ने वादा किया कि वो इस मामले को केंद्र सरकार तक ले जाएंगे। मंत्री ने इंडिया टुडे को बताया, ‘अगर वो बरी कर दिए गए थे तो हम इस मामले को देंखेंगे। पता लगाएंगे कि क्या उन पर कानून के तहत दोबारा एक्शन लिया जा सकता है, हम सारे सबूत केंद्र को भेजेंगे।’
सनातन संस्था एक हिंदू धार्मिक संगठन है। 1999 में डॉ. जयंत आठवले ने इस संस्था की स्थापन की थी। ये संगठन स्पष्ट तौर पर अपना प्रारंभिक लक्ष्य ‘आध्यात्मिकता’ को बताता है। महाराष्ट्र, गोवा समेत देश के कई हिस्सों में इसके केंद्र फैले हैं। हिंदुत्व के नाम पर हिंसा के विवादों से अक्सर सनातन संस्था सुर्खियों में आती रहती है।
बता दें कि 2008 में महाराष्ट्र के सिनेमाघरों में हुए बम धमाकों में एटीएस ने 6 संदिग्धों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। इनमें मंगेश दिनकर निकम, हरिभाऊ कृष्ण दिवेकर, विक्रम विनय भावे, संतोष सीताराम आंगरे, रमेश हनुमंत गडकरी और हेंमत तुकाराम के नाम शामिल थे।