कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज (Saifuddin Soz) ने गुरुवार को कहा कि पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर (पूर्व राज्य) के विशेष दर्जे को समाप्त किए जाने के बाद से ‘उन्हें अवैध रूप से नजरबंद’ रखने को लेकर वह सरकार पर मुकदमा करेंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में केंद्र के इस जवाब को ‘झूठ’ बताया कि वह नजरबंद नहीं हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई (भाषा) की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज ने अपने एक बयान में कहा, ‘‘मैं सुप्रीम कोर्ट में सरकार द्वारा अपनाए गए इस रुख पर कड़ा ऐतराज करता हूं कि पांच अगस्त, 2019 से मुझे नजरबंद नहीं किया गया था और न ही मुझ पर पाबंदियां लगाई गई थीं।’’ उन्होंने कहा कि सरकार ने ‘झूठ’ का रास्ता अख्तियार किया जबकि उसने मुझे पांच अगस्त, 2019 से गैर कानूनी तरीके से बंदी बना लिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘इस दौरान मुझे अपने परिसर से बाहर नहीं जाने दिया गया। मैं दो बार परिसर से बाहर गया जब मुझे 17 सितंबर-21 सितंबर 2019 के बीच अपनी बीमार बहन को देखने दिल्ली जाना पड़ा, और 15 दिसंबर-21 दिसंबर, 2019 के बीच मुझे चिकित्सकीय सलाह के लिए बाहर जाना पड़ा। पांच अगस्त, 2019 के बाद मैं जब भी बाहर गया तो मुझे सरकार से इजाजत लेनी पड़ी।’’
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘पांच अगस्त, 2019 से मुझे गैर कानूनी से नजरबंद रखने के लिए मैंने सरकार पर मुकदमा करने का निर्णय लिया है। संविधान के तहत मैं जिन नागरिक अधिकारों का हकदार हूं, उन्हें निलंबित रखने और मुझे बंदी बनाने को लेकर मैं क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए सरकार पर के खिलाफ मुकदमा दायर करूंगा।’’
ये हमारा कश्मीर है।
प्रो. सैफ़ुद्दीन सोज़ ‘मेन स्ट्रीम पॉलिटिशियन’ रहे हैं। सांसद और केन्द्र सरकार में मंत्री भी।
ये केन्द्र सरकार पर सुप्रीम कोर्ट में ग़लतबयानी की जो बात है कह रहे हैं वह अपनी जगह। देखिए इस बुजुर्ग नेता के साथ सुरक्षाकर्मी उनके ही घर में कैसे पेश आ रहे हैं! pic.twitter.com/YZfO2FRE5s
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) July 30, 2020
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कहा था कि सोज को ‘‘कभी नजरबंद नहीं किया गया था’’ और ‘‘सुरक्षा मंजूरी मिलने के बाद उनकी आवाजाही पर कोई पाबंदी नहीं थी।’’ सोज की पत्नी की याचिका के जवाब में सरकार ने यह हलफनामा दिया। उनकी पत्नी ने याचिका में सोज को ‘अवैध हिरासत’ से रिहा करने तथा अदालत के समक्ष उन्हें पेश करने की मांग की है।