सहारनपुर हिंसा: BJP सांसद के भाई के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी, ‘मास्टरमाइंड’ गिरफ्तार, जानें पूरा मामला

0

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर हिंसा मामले में रविवार(4 जून) को पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने सहारनपुर जिले के शब्बीरपुर गांव में हुए हिंसा के मुख्य सूत्रधार बताए जा रहे प्रधान शिवकुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। पुलिस के अनुसार प्रधान ने ही महाराणा प्रताप जयंती कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे युवकों पर पथराव के लिए दूसरे पक्ष को उकसाया था और वो ही घटना का मास्टरमाइंड है।इस मामले में प्रधान सहित तीन अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है। एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि ग्राम प्रधान शिव कुमार के ऊपर गत 5 मई को शब्बीरपुर गांव में महाराणा प्रताप जयन्ती शोभायात्रा के संबंध में डीजे बजाकर निकल रहे क्षत्रिय समाज के लोगों के खिलाफ गांव के दलितों को भड़काने, पथराव करने और अशांति का माहौल बनाने का आरोप था।

साथ ही पुलिस ने भीम आर्मी पर भी शिकंजा कस दिया है। पुलिस ने भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर आजाद रावण व संगठन के पदाधिकारियों के वारंट जारी करते हुए 12-12 हजार का इनाम घोषित किया है। बता दें कि नौ मई को महानगर में कई जगह उपद्रव में भी भीम आर्मी का ही नाम सामने आया था।

BJP सांसद के भाई के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी

इस अलावा 20 अप्रैल को सड़क दुधली में सांप्रदायिक हिंसा और एसएसपी के आवास पर तोड़फोड़ व हंगामा करने के आरोप में बीजेपी सांसद के भाई सहित छह लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार ने बताया कि कोर्ट ने जिन छह लोगों के खिलाफ वारंट जारी करने का आदेश दिया है, उसमें सहारनुपर के बीजेपी सांसद राधव लखनपाल शर्मा के भाई राहुल लखनपाल, बीजेपी महानगर अध्यक्ष अमित गगनेजा, सासंद समर्थक राहुल, जितेंद्र सचदेवा, सुमित जसूजा और अशोक भारती के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।

फोटो: NDTV

एसएसपी ने बताया कि सांसद के भाई समेत 6 लोगों की गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है। पुलिस के मुताबिक, इस कार्यवाही के बाद से ही सभी आरोपी लापता हैं। बता दें कि 20 अप्रैल को बिना इजाजत अंबेडकर जयंती की शोभायात्रा निकालने के मुद्दे के बाद दो पक्षों में हुए सांप्रदायिक हिंसा मामले में खुद सांसद लखनपाल भी आरोपी है, हालांकि अभी तक पुलिस ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट नहीं लिया है।

पढ़िए, सहारनपुर की क्या है पूरा मामला?

बता दें कि सहारनपुर में पहला दंगा 20 अप्रैल को हुआ था। तब सहारनपुर से बीजेपी के एमपी राघव लखनपाल शर्मा आंबेडकर जयंती का जुलूस बिना इजाजत निकाल रहे थे। उसमें हिंसा भड़क गई थी। जिसके बाद जिले के शब्बीरपुर गांव में महाराजा प्रताप जयंती के अवसर पर डीजे बजाने को लेकर ठाकुरों(राजपूत) और दलित समाज में 5 मई 2017 को बड़ा संघर्ष हुआ।

दलितों ने कथित तौर पर गांव से शोभायात्रा निकालने का विरोध किया और शोभायात्रा पर पथराव कर दिया। इस दौरान एक राजपूत युवक की मौत हो गई। शोभायात्रा पर पथराव की सूचना आसपास के गांवों के ठाकुर समाज के लोग भी वहां पहुंच गए। दोनों ओर से पथराव के साथ-साथ फायरिंग और तोड़फोड़ शुरू हो गई। इसके बाद शब्बीरपुल गांव के दलितों के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई।

इस दौरान दलितों के 60 से ज्यादा मकान जला दिए गए थे और कई वाहन फूंक दिए थे। इसके बाद दलितों की भीम आर्मी की तरफ से इस घटना का विरोध किया गया था। वहीं, पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए 9 मई 2017 को सहारनपुर में इकट्ठा हुए दलितों का पुलिस से संघर्ष हो गया था। इस दौरान सहारनपुर में नौ जगहों पर हिंसा हुई।

इस मामले में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को नामजद किया गया। जिसके विरोध में 21 मई 2017 को हजारों दलितों ने दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। वहीं, 23 मई 2017 को एक बार फिर मायावती के दौरे के बाद दलितों और ठाकुरों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें सात लोग घायल हो गए हैं, जिनमें से बाद में एक व्यक्ति की मौत हो गई।

 

 

Previous articleSaudi Arabia, Egypt, UAE and Bahrain cut diplomatic ties with Qatar, block airspace
Next articleप्रणय रॉय पर CBI की छापेमारी के बाद ट्रोल हुए संबित पात्रा