रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी वैसे तो अपने पैनलिस्टों को हमेशा परेशान करने के लिए जाने जाते हैं, खासकर वह पैनलिस्ट जो उनके शो के दौरान उनसे सहमत नहीं होते हैं। हालांकि, हाल ही में लांच हुए ‘रिपब्लिक भारत’ चैनल पर उनके दर्शकों को उस समय गोस्वामी में एक उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिला, जब उन्होंने ऐसे बयान पर माफी मांगी, जिसके लिए वह दोषी ही नहीं थे। जी हां, आपको भले ही हैरानी हुई होगी, लेकिन ऐसा हुआ है।
File photoदरअसल, गोस्वामी बसपा सुप्रीमो मायावती की उस विवादित टिप्पणियों पर बहस कर रहे थे, जिससे उन्होंने मुसलमानों से महागठबंधन के उम्मीदवारों को वोट देने के लिए अपील किया था। डिबेट करते हुए अर्नब ने कहा कि जब हिंदू वोट की बात की जाती है तो सांप्रदायिक कहा जाता है, लेकिन जब मुस्लिम वोट बैंक को धर्म के आधार पर अपील किया जाता है तो उसे धर्मनिरपेक्ष कहा जाता है।
कुछ देर बाद इस डिबेट में शामिल पैनलिस्टों के बीच आपस में बहस शुरू हो गई। डिबेट में शामिल एक मुस्लिम अतिथि को मायावती के बयान में कुछ गलत लगा। और उसने एक लोकप्रिय हिंदी कहावत का उदाहरण देते हुए अपने तर्क का समर्थन करने की मांग की। उन्होंने कहा, “अगर अलगु चौधरी रात में सेक्युलर हो और सुबह को धोती बदल ले तो कोई सवाल नहीं पूछा जाता है। लेकिन अगर जुम्मन शेख सेक्युलर के रूप में पैदा होते हैं और सेक्युलर के रूप में मर जाते हैं, तो…”
इसी दौरान बीच में ही एक आरएसएस समर्थक पैनलिस्ट ने मुस्लिम पैनलिस्ट का मजाक उड़ाते हुए पूछा कि क्या वह जेएनयू के तुकडे टुकडे गिरोह से संबंधित हैं? आरएसएस समर्थक के बयान पर मुस्लिम शख्स भड़क गया और उन्होंने आरएसएस के व्यक्ति से कहा, “अबे सुन…. गधे की औलाद सुन…” इसके बाद अर्नब ने कहा कि प्लीज देखिए कोई भी किसी दूसरे को ‘गधे की औलाद’ मत कहे।
इसके बाद आरएसएस पैनलिस्ट ने मुस्लिम पैनलिस्ट से गधे की औलाद वाले बयान में मांफी मांगने की मांग की, लेकिन उन्होंने ऐसा करने मना कर दिया। मामला बढ़ता देख अर्नब गोस्वामी ने खुद माफी मांगने का ऐलान कर दिया। गोस्वामी ने कहा, “यह मेरा शो है और मैं माफी मांग रहा हूं।” उन्होंने बाद में सभी पैनलिस्टों से गुजारिश करते हुए कहा कि कोई भी ऐसी भाषा का इस्तेमाल ना करे और मुद्दे पर बात करिए।
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