सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार(24 अगस्त) को बड़ा फैसला सुनाते हुए निजता के अधिकार को भारत के संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया। प्रधान न्यायाधीश जे. एस. खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसले में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीने के अधिकार) के तहत दिए गए अधिकारों के अंतर्गत प्राकृतिक रूप से निजता का अधिकार संरक्षित है।
इस मामले की घटनाओं पर एक नजर:-
- सात जुलाई 2017: तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि आधार को लेकर उठ रहे मुद्दों पर अंतिम व्यवस्था बड़ी पीठ देगी और संविधान पीठ के गठन की जरूरत पर निर्णय भारत के प्रधान न्यायाधीश करेंगे।
- सात जुलाई 2017: मामला प्रधान न्यायाधीश के समक्ष उठाया गया, सुनवायी के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन।
- 18 जुलाई 2017: पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने निजता के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित करने के संबंध में फैसले के लिए नौ न्यायाधीशों की पीठ के गठन का फैसला लिया।
- नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ (प्रधान न्यायाधीश जे. एस. खेहर, न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल, न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन, न्यायमूर्ति ए. एम. सप्रे, न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर) निजता के मामले की सुनवायी करेंगे।
- 19 जुलाई 2017: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निजता का अधिकार पूर्ण नहीं हो सकता, नियमन किया जा सकता है।
- 19 जुलाई 2017: केंद्न ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है।
- 26 जुलाई 2017: कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, पंजाब और पुडुचेरी, गैर-भाजपा शासित चार राज्य निजता के अधिकार के पक्ष में न्यायालय पहुंचे।
- 26 जुलाई 2017: केंद्र ने अदालत से कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार हो सकता है, लेकिन कुछ अपवादों/शर्तों के साथ।
- 27 जुलाई 2017: महाराष्ट्र सरकार ने न्यायालय से कहा कि निजता का अधिकार कोई ‘इकलौती’ चीज नहीं है, यह व्यापक विचार है।
- एक अगस्त 2017: न्यायालय ने कहा कि सार्वजनिक मंच पर व्यक्ति की निजी सूचनाओं की सुरक्षा के लिए ‘‘विस्तृत’’ दिशा-निर्देश होने चाहिए।
- दो अगस्त 2017: कोर्ट ने कहा कि प्रौद्योगिकी के दौर में निजता की सुरक्षा का सिद्धांत एक ‘‘हारी हुई लड़ाई’’ है, फैसला सुरक्षित रखा।
- 24 अगस्त 2017: न्यायालय ने निजता के अधिकार को भारत के संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया।