सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि होटल और रेस्टोरेंट बोतलबंद मिनरल वाटर और खाने की दूसरी पैक्ड चीजों को अधिकतम खुदरा मूल्य यानी एमआरपी से अधिक दामों पर बेच सकते हैं। कोर्ट के मुताबिक, होटल और रेस्ट्रॉन्ट्स सर्विस देते हैं और उन्हें लीगल मिट्रॉलजी ऐक्ट के तहत नहीं चलाया जा सकता।
एबीपी न्यूज़ के मुताबिक, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने होटल मालिकों की इस दलील को माना कि रेस्टोरेंट में कोई व्यक्ति मिनरल वाटर की बोतल खरीद कर ले जाने नहीं आता है। वो उसे वहीं बैठ कर पीता है, वो होटल के माहौल का लुत्फ उठाता है। साथ ही टेबल और बर्तन के साथ ही स्टाफ की सेवाओं का भी इस्तेमाल करता है। इसलिए, उससे ज़्यादा कीमत वसूलना गलत नहीं है।
कोर्ट ने साफ कर दिया है वह होटलों और रेस्टोरेंट को इस तरह से नहीं रोक सकता क्योंकि होटल और रेस्टोरेंट मालिकों ने लोगों को बैठने के लिए जो जगह दी है उसके लिए उन्होंने खर्च किए हैं।
फेडरेशन ऑफ होटल्स एंड रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया ने 2015 में आए दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने कहा था कि 2009 का लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट सरकार को ये अधिकार देता है कि वो एमआरपी से ज़्यादा कीमत वसूलने वाले होटल-रेस्टोरेंट पर कार्रवाई कर सकती है।
खबरों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में सरकार ने कहा था कि खाद्य पदार्थों को एमआरपी से ज़्यादा पर बेचना लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009 के सेक्शन 36 का उल्लंघन है। ऐसा करने वाले होटल पर पहली बार मे 25 हज़ार, दूसरी बार मे 50 हज़ार का जुर्माना लग सकता है। तीसरी बार ऐसा करने पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाने या 1 साल तक की जेल का प्रावधान है।
सरकार की तरफ से ये दलील भी दी गई थी कि एमआरपी से ज्यादा पैसे वसूल करना उपभोक्ता के अधिकारों का हनन है, यहां तक कि ये टैक्स चोरी को बढ़ावा देता है।