इंस्टिट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज (IOS) के तीन दिवसीय अधिवेशन के दूसरे दिन विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं ने इस बात का संकल्प लेते हुए कहा कि हम सब धर्म के नाम पर हिंसा नफरत और अशांति नहीं होने देंगे। सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ मिलकर मजबूती से लड़ेंगे। सभी धर्मों ने अमन और भाईचारगी का संदेश दिया है, किसी भी धर्म में संप्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं है। लेकिन आज एक साजिश के तहत धर्म को बदनाम किया जा रहा है। दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में IOS के तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी व बहाई धर्मों के मानने वाले धर्मगुरुओं ने शिरकत की और सभी ने मंच से हवा में हाथ लहरा कर इस बात का आह्वान किया कि किसी भी धर्म में सांप्रदायिकता की कोई जगह नहीं है और हम सब इसके खिलाफ हैं। इस विशेष सत्र की अध्यक्षता ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने किया।
अपने अध्यक्षता भाषण में खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि इस्लाम में सामाजिक, आर्थिक और व्यापारिक कामों में किसी भी तरह का मुस्लिम और गैर मुस्लिम के दरमियान कोई फर्क नहीं किया गया है। इस्लाम ने इंसानियत की बुनियाद पर तमाम लोगों को एक जैसा हक़ दिया है। उन्होंने कुरान शरीफ की एक आयत का हवाला देते हुवे कहा के कुरान में कहा गया है कि समाज में मुस्लिम और गैर मुस्लिम एक साथ रहेंगे, लेकिन दोनों एक दूसरे के धार्मिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे, और एक दूसरे का सम्मान करेंगे।
वहीं, आर्य समाज के धर्मगुरु स्वामी अग्निवेश ने कहा कि बच्चे सभी इंसान के रूप में पैदा होते हैं, मगर मां बाप उनको हिंदू-मुस्लिम, सिख-इसाई बनाते हैं। उन्होंने मुसलमानों के अंदर जात-पात और मसलकी भेद-भाव की आलोचना करते हुए कहा कि मस्जिद में सभी मुसलमान भाई 15 मिनट के लिए एक हो जाते हैं लेकिन बाहर निकलते हैं तो जात पात और फिरका बंदी में उलझ जाते हैं। अग्निवेश ने कहा कि इस्लाम के साथ-साथ सभी धर्मों ने अमन का पैगाम दिया है तो फिर देश में इस तरह की वारदात क्यों हो रहे हैं, इस पर आत्ममंथन करने की जरूरत है।इसके अलावा बौद्ध के धर्मगुरु डॉक्टर राहुल दास ने तमाम धर्मों की खूबियों की चर्चा करते हुए कहां की कुछ सियासी लोग अपने स्वार्थ के लिए धर्म को बदनाम कर रहे हैं। हम सब मिलकर यह संकल्प करें के धर्म का कोई भी राजनीतिक पार्टी गलत इस्तेमाल ना करें। जबकि आचार्य लोकेश मुनि ने कहा कि धर्म हमें जोड़ना सिखाता है तोड़ना नहीं, धर्म के मार्ग पर हिंसा, घृणा, नफरत का कोई स्थान नहीं।
डॉक्टर अब्दुल्ला, बाबा बलजीत सिंह और डॉक्टर यासिन अली उस्मानी ने भी विभिन्न धर्मों की परिचर्चा करते हुए कहा कि अच्छी सोच के चलते ही मानवता जीवित रह सकता है, बुरी सोच इंसानों को खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा हमारी भाषाएं पृथक हो सकती हैं। सभ्यता अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन हम सब एक हैं और मनुष्य वही है जो एक दूसरे के काम आए।
गौरतलब है कि अधिवेशन का कल दूसरा दिन था, जिसमें विभिन्न सभागार में 10 सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें अमेरिका, श्रीलंका, बांग्लादेश, तर्की, सऊदी अरब, कतर, साउथ अफ्रीका समेत लेबनान के शोधकर्ताओं ने अपने-अपने पर्चा प्रस्तुत किया। आज अधिवेशन का आखिरी दिन है इसमें 6 सत्र का आयोजन होना है, और शाम 5:00 बजे समापन समारोह होगा।