लागत में कटौती की सरकारी एजेंसियों की कोशिशों के बावजूद राशन के जरिए दो रुपये किलो बिकने वाले गेहूं और तीन रुपये किलो बिकने वाले चावल की आर्थिक लागत पिछले पांच साल के दौरान क्रमश 26 प्रतिशत और लगभग 25 प्रतिशत वृद्धि के साथ 24 रुपये और 32 रुपये किलो तक पहुंच गयी है।
पीटीआई कि ख़बर के मुताबिक, भारतीय खाद्य निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, 2017-18 में गेहूं की आर्थिक लागत 2408.67 रुपये प्रति क्विंटल 24.09 रपये किलो जबकि चावल की 3264.23 रुपये क्विंटल 32.6 रुपये किलो रहने का अनुमान है। अधिकारी ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य, मजदूरी और अन्य लागतें बढ़ने से आर्थिक लागत बढ़ी है।
वर्ष 2013-14 में गेहूं की प्रति क्विंटल लागत जहां 1908.32 रपये यानी 19 रुपये किलो से कुछ अधिक थी, वहीं 2017-18 तक यह बढ़कर 2408.67 रपये क्विंटल यानी 24.09 रुपये किलो हो गई।
वहीं चावल की लागत 2013-14 में 2615.51 रुपये प्रति क्विंटल 26.15 रुपये किलो से बढ़कर 2017-18 में 3264.23 रुपये क्विंटल 32.6 रुपये किलो हो गई। इस लिहाज से गेहूं की खरीद और उसके रखरखाव पर आने वाली लागत जहां प्रति क्विंटल 26.22 प्रतिशत बढ़ी वहीं चावल की लागत में इस दौरान 24.80 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
किसानों से अनाज की खरीद करने से लेकर उसे बोरियों में भरकर गोदामों तक पहुंचाने और उसका रखरखाव करने वाले सार्वजनिक उपक्रम भारतीय खाद्य निगम एफसीआई को इस समय गेहूं पर 24 रुपये और चावल पर 32 रुपये किलो की लागत पड़ रही है जबकि राशन में इन अनाज को क्रमश 2 रुपये, 3 रुपये किलो पर उपलब्ध कराया जाता है। आर्थिक लागत और बिक्री मूल्य में अंतर की भरपाई सरकार सब्सिडी के जरिये करती है।