दक्षेस सम्मेलन (SAARC) का बहिष्कार करने के रुख पर गौरवान्वित हूं : रतन टाटा

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अग्रणी उद्योगपति रतन टाटा ने उरी हमले के मद्देनजर दक्षेस शिखर सम्मेलन का बहिष्कार करने के सरकार के निर्णय की आज सराहना की।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ दक्षेस बैठक का बहिष्कार करने के भारत सरकार के सख्त रुख और सदस्य देशों के जबरदस्त समर्थन को लेकर गौरवान्वित हूं.’’ टाटा समूह के मानद चेयरमैन के इस ट्वीट को 3200 से अधिक लाइक मिले और 2,000 से अधिक बार इसे री-ट्वीट किया गया।

भाषा की खबर के अनुसार, इस्लामाबाद में होने वाले शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने के भारत और तीन अन्य सार्क सदस्य देशों (अफगानिस्तान, भूटान और बांग्लादेश) द्वारा संगठन के अध्यक्ष नेपाल को सूचना दिए जाने के बाद सम्मेलन का आयोजन होने की संभावना नजर नहीं आने के बाद पाकिस्तान ने बुधवार को संकेत दिया कि भारत के शरीक होने से इनकार करने की स्थिति में यहां नवंबर में होने वाले दक्षेस सम्मेलन को टाला जा सकता है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने बताया, ‘सार्क नियमों के मुताबिक यदि कोई एक देश भी शरीक होने से इनकार करता है तो सम्मेलन नहीं हो सकता.’

भारत के अलावा सार्क सदस्यों – बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी सम्मेलन से दूरी बना ली, इन देशों ने पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष आरोप लगाया है कि वह एक ऐसा माहौल बना रहा है, जो सम्मेलन को सफलतापूर्वक कराने के लिए सही नहीं है. मौजूदा परिस्थितियों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सार्क सम्मेलन में शरीक नहीं होने का फैसला करने के एक दिन बाद यह घटनाक्रम हुआ. सार्क की स्थापना 1985 में हुई थी. अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका इसके सदस्य देश हैं.

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