चुनावी व्यस्तता के कारण महिलाओं की सुरक्षा पर राजनाथ सिंह ने एक महीने में नहीं बुलाई कोई बैठक, स्वाति मालीवाल ने उठाए सवाल

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मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए विभिन्न पार्टियों के राजनेता व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई केंद्रीय मंत्री इन दिनों चुनावों में व्यस्त हैं। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी इन चुनावों में व्यस्त है जिसके चलते वह मंत्रालय के काम पर पूरा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। जिसके कारण महिला सुरक्षा को लेकर होने वाली एक अहम बैठक राजनाथ सिंह की चुनावी व्यस्तता के कारण नहीं हो पा रही है और शायद इसी वजह से पिछले एक महीने में उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा पर एक भी बैठक नहीं बुलाई है।

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में महिला सुरक्षा को बेहतर करने के लिए बीते 24 अक्टूबर को एक GoM (Group of Ministers) का गठन किया गया था। इस ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स के अध्यक्ष केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह हैं, वहीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी इसकी सदस्य बनायी गई हैं। लेकिन जीओएम की गठन के बाद से अब तक एक भी बैठक नहीं हो पाई।

रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव के चलते राजनाथ सिंह और अन्य वरिष्ठ बीजेपी नेता व्यस्त हैं, जिसके कारण इस मुद्दे पर बैठक अभी नहीं हो पाई है। महिलाओं की सुरक्षा को मजबूत करने और उन्हें अधिक प्रभावी बनाने के उपायों की जांच और सिफारिश करने के लिए जीओएम को सिर्फ तीन महीने की समयसीमा दी गई थी और ऐसे में अब जीओएम के पास काफी कम वक्त बचा है।

वहीं, यह खबर सामने आने के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ट्वीट पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ पर निशाना साधा और कहा कि राजनीति इतनी जरूरी है कि उसके लिए महिला सुरक्षा ही ताक पर लगा दी? देश के ग्रह मंत्री ऐसा कैसे कर सकते हैं?

स्वाति मालीवाल ने एक खबर पर अपनी प्रतिक्रया देते हुए लिखा, “पहले तो ये महिला सुरक्षा पे कोई कमिटी बनाते नही हैं (हम पिछले 3 साल से कमिटी की मांग कर रहे हैं, आज तक नही बनाई)। बड़ी मुश्किल से कमिटी बनाई तो उस की मीटिंग नही बुला रहे। राजनीति इतनी जरूरी है कि उसके लिए महिला सुरक्षा ही ताक पर लगा दी? देश के ग्रह मंत्री ऐसा कैसे कर सकते हैं?”

बता दें कि देश में महिला सुरक्षा का मुद्दा अक्सर चर्चा में रहता है। आए दिन महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों को देखते हुए समय-समय पर महिला सुरक्षा बढ़ाने की मांग की जाती रही है।

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