उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की हिमायत करते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने बुधवार (18 जुलाई) को कहा कि इस मुद्दे का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाना चाहिए। ठाकरे ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विभिन्न मोर्चों पर अपनी नाकामी को छिपाने के लिए मंदिर का मुद्दा उठा रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (एनईईटी), दुग्ध उत्पादकों के जारी आंदोलन, अरब सागर में छत्रपति शिवाजी के प्रस्तावित स्मारक और बुलेट ट्रेन परियोजना सहित कई मुद्दों को लेकर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की आलोचना भी की।
(Anshuman Poyrekar/HT Photo)समाचार एजेंसी भाषा के हवाले से NDTV में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ठाकरे ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए, लेकिन इस मुद्दे का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए किया जाना गलत है। बीते चार साल में मोदी सरकार ने कोई काम नहीं किया है जिसे वह विकास कार्य के रूप में दिखा सके। सरकार की नाकामी को छिपाने के लिए राम मंदिर का मुद्दा उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी चाहती है कि मंदिर के मुद्दे पर इस देश में दंगे हों।
ठाकरे ने कहा ति वह (बीजेपी) राम मंदिर का मुद्दा उठा सकती थी, क्योंकि उसके पास बहुमत है लेकिन उसने नोटबंदी, योग आदि जैसे मुद्दे उठाए। और अब चार साल बाद वह मंदिर (राम मंदिर के निर्माण) के बारे में बात कर रही है। उन्होंने मुंबई में मंत्रालय के बाहर गड्ढों से भरी सड़कों और उससे होने वाली दुर्घटनाओं पर विरोध जताने के लिए फुटपाथ की खुदाई करने वाले मनसे के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने पर बीजेपी नीत महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की।
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ निर्ममता बरती और उनकी पिटाई की। मैं राज्य सरकार से एक सवाल पूछना चाहता हूं। यदि कल आपको विपक्ष में बैठना पड़ा तो क्या आप अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के खिलाफ इसी तरह के बर्ताव को स्वीकार करेंगे। ठाकरे ने एनईईटी में स्थानीय छात्रों को प्राथमिकता देने की मांग की।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्थानीय छात्रों की कीमत पर बाहरी छात्रों को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है। यदि यह स्थिति है तो महाराष्ट्र के छात्रों को कहां दाखिला मिलेगा? दूध के लिए बेहतर मूल्य की मांग के लिए दुग्धोत्पादकों के आंदोलन को लेकर ठाकरे ने आरोप लगाया कि सरकार राज्य में अपने किसानों की मदद करने के बजाय अमूल (गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड) जैसी कंपनियों को बढ़ावा देना चाहती है।