पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, शरद पवार, ममता बनर्जी समेत विपक्षी दलों के कई बड़े नेताओं ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित सभी राजनीतिक बंदियों की तत्काल रिहाई की मांग की है। इसके लिए विपक्ष के कई नेताओं ने संयुक्त बयान जारी किया है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जनता दल (सेकुलर) के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा, राष्ट्रीय जनता दल के नेता और राज्यसबा सांसद मनोज झा, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने एक संयुक्त प्रेस रिलीज जारी कर जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की मांग की है।
बयान में कहा गया है कि, ‘लोकतांत्रिक मूल्यों, मौलिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं पर लगातार हमले बढ़ रहे हैं। ऐसे में असहमति की आवाज को न सिर्फ दबाया जा रहा है, बल्कि गंभीर मुद्दों को उठाने वालों को योजनाबद्ध तरीके से चुप कराया जा रहा है।’ विपक्ष ने कहा कि पिछले सात महीनों से तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को बिना किसी पुख्ता आधार के हिरासत में रखा गया है और इन नेताओं का ऐसा कोई अतीत नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि ये लोग जम्मू कश्मीर में सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
Dear Media Friends,
Kindly give wide publicity to the following Joint Statement.
We demand the immediate release of all political detainees in Kashmir, especially the three former Chief Ministers of J&K. pic.twitter.com/GrYx5C1WDc
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) March 9, 2020
जिन लोगों को नजरबंद किया गया है, उनमें जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्री- फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला तथा महबूबा मुफ्ती- शामिल हैं। केंद्र सरकार ने पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद तीनों मुख्यमंत्रियों समेत राज्य के अन्य राजनेताओं को नजरबंद किया था। लंबे समय से इन लोगों की रिहाई की मांग की जा रही है।
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद नजरबंद किए गए नेताओं को धीरे-धीरे आजाद किया जा रहा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन और पीडीपी के एक नेता को छह महीने बाद छोड़ा गया। इन्हें अगस्त में नजरबंद किया गया था। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अब्दुल माजीद लारमी, गुलाम नबी भट्ट और मो. शफी को श्रीनगर स्थित एमएलए हॉस्टल से फरवरी में रिहा किया गया।