दिल्ली हिंसा की जांच के लिए कांग्रेस की ओर से गठित पांच सदस्यीय टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में गृहमंत्री अमित शाह और पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए सोमवार को कहा कि विवादित बयान देने वाले भाजपा नेताओं पर प्राथमिकी दर्ज की जाए और हिंसा की न्यायिक जांच कराई जाए।
इस टीम ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी। इस टीम में शामिल कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने संवाददाताओं से कहा, ”हमने विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया। दंगों से पीड़ित लोगों से मुलाकात की। घायलों और उनके परिवार से मुलाकात की। अभी जो जानकारी हमें मिली है कि पुलिस रात में पहुंचती है और लोगों को उठा ले जाती है।” उन्होंने कहा, ”जो देखने को मिला वो बहुत भयावह था। यह दुर्भाग्य की बात है कि भाजपा की ओर से धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण किया गया और दंगों में इसका बहुत बड़ा योगदान रहा।”
वासनिक ने आरोप लगाया कि देश में बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था का संकट, महिलाओं की असुरक्षा और दलितों की समस्याओं से ध्यान भटकाने का भाजपा का षड्यंत्र हो सकता है। उन्होंने कहा, ”गृह मंत्री के इस्तीफा की मांफ की थी लेकिन अब तक इस्तीफा नहीं हुआ। हम अभी भी मानते हैं कि गृह मंत्री ने अपनी भूमिका नहीं निभाई।” वासनिक ने दावा किया, ”भाजपा नेताओं ने भड़काऊ बयान दिए। 690 प्राथमिकी दर्ज हुई, लेकिन अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। यह सरकार एक बार फिर राजधर्म निभाने में विफल रही।”
उन्होंने कहा, ”अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा, कपिल मिश्रा और अभय वर्मा के खिलाफ तत्काल प्राथमिकी दर्ज की जाए। मामले की न्यायिक जांच कराई जाए जो ऊपरी अदालत के किसी निवर्तमान न्यायाधीश के जरिए हो।” वासनिक ने कहा कि कई जगह देखा गया कि पुलिस मूकदर्शक बनी रही। कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने आरोप लगाया कि दिल्ली में हिंसा के लिए भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि सभी प्रभावितों की पूरी मदद की जाए। कांग्रेस की इस टीम में मुकुल वासनिक, शक्ति सिंह गोहिल, कुमारी शैलजा, तारिक अनवर और सुष्मिता देव शामिल थे।
बता दें कि, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा ने कई लोगों की जान ले ली। कई लोग बुरी तरह से घालय हो गए, जिसका अभी भी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। फिलहाल, स्थिति तो सामान्य हो रही है लेकिन हिंसा के दौरान हुई भयावहता सामने आ रही है। हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने सैकड़ों घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया था।
भड़की हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 53 हो गई है। कई इलाकों में भड़की हिंसा में 56 पुलिसकर्मियों समेत करीब 200 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। इस हिंसा में हेड कांस्टेबल रतनलाल और इंटेलिजेंस ब्यूरो के अफसर अंकित शर्मा की भी मौत हो गई। (इंपुट: भाषा के साथ)