त्यौहारी सीजन की वजह से इस वक्त हजारों लोगों को ट्रेनों में सीट मिलना तो दूर खड़े होने भर के लिए पसीना बहाना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ सभी नियमों को ताक पर रखकर उत्तर रेलवे ने आम यात्रियों की फिक्र छोड़ सिर्फ केंद्रीय मंत्री के ओएसडी के परिवार को दिल्ली भेजने के लिए रेलवे ने पद्मावत एक्सप्रेस में अलग से फर्स्ट एसी कोच लगवा दिया। इतना ही नहीं, इन अधिकारियों को लिए ट्रेन करीब 50 मिनट रूकी रही और प्लैटफॉर्म तक बदल दिया गया, जिससे आम यात्रियों को काफी परेशान हुई।
दिवाली का उत्सव पर्व अपनों के साथ घर पर मनाने के बाद काम-धंधे पर लौटने वालों की भीड़ से सभी ट्रेनें हाउसफुल हो गई हैं। खास तौर पर शनिवार (21 अक्टूबर) को ट्रेनों में एक-एक सीट की मारामारी थी। इस भीड़ की वजह से केंद्रीय मंत्री के ओसएडी और उनके परिजनों को वीआईपी कोटे में भी जगह नहीं मिली।
जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक, शाम करीब 5.40 बजे पद्मावत एक्सप्रेस का चार्ट रिलीज हुआ। उसमें भी जगह नहीं मिलने पर अधिकारी ने रेलवे बोर्ड से यात्रियों की भीड़ के नाम पर अलग से कोच लगवाने का जुगाड़ लगवाया। रात करीब 8:40 बजे रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पद्मावत में फर्स्ट कम सेकंड एसी का कम्पोजिट कोच लगाने का आदेश दिया।
इसके बाद मकैनिकल डिपार्टमेंट, इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट, कमर्शल डिपार्टमेंट और ऑपरेटिंग डिपार्टमेंट के कर्मचारियों में अफरातफरी मच गई। सिक लाइन से एक्स्ट्रा कोच को फिट कराकर ट्रेन में लगाने का इंतजाम किया गया। तीस सीटों के कोच में सिर्फ सात लोग सवार होकर गए। वहीं दूसरी तरफ आम यात्रियों को भीड़ में खड़े होकर पसीना बहाते हुए जाना पड़ा।
जनसत्ता के मुताबिक, हैरानी की बात तो ये है कि रेलवे द्वारा लगवाए से स्पेशल कोच में यात्रा कर रहे इन अधिकारियों और उनके परिजनों ने इस ट्रेन का वेटिंग लिस्ट का टिकट नहीं खरीदा था। सबने जनरल का टिकट लिया था। टीटीई ने बीच रास्ते उनके एसी और जनरल के किराए के अंतर की रसीद बनाई।
ट्रेन आने के 10 मिनट पहले प्लैटफॉर्म दो की जगह छह नंबर पर आने की घोषणा कर दी गई। जिसके बाद यात्रियों में अफरातफरी मच गई। सबसे ज्यादा दिक्कत बुजुर्गों और महिलाओं को हुई। इस दौरान दिवाली मनाकर लौटने वाले यात्रियों को खूब धक्के खाने पड़े।