कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने जलियांवाला बाग स्मारक स्थल का पुनर्निर्माण किए जाने के बाद इसकी भव्यता को लेकर सोशल मीडिया में उठ रहे सवालों का हवाला देते हुए मंगलवार को आरोप लगाया कि यह शहीदों का अपमान है और यह वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता।
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, “जलियाँवाला बाग़ के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता। मैं एक शहीद का बेटा हूँ- शहीदों का अपमान किसी क़ीमत पर सहन नहीं करूँगा। हम इस अभद्र क्रूरता के ख़िलाफ़ हैं।”
कांग्रेस नेता ने एक अन्य ट्वीट में यह भी कहा, ‘‘जिन्होंने आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी, वे उन लोगों को नहीं समझ सकते, जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी।’’
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट के साथ उस खबर का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया जिसमें कहा गया है कि इस स्मारक स्थल की भव्यता को लेकर सोशल मीडिया में लोगों ने गुस्से का इजहार किया है।
सोशल मीडिया पर भी कई लोगों ने सरकार पर नवीकरण के नाम पर इतिहास को नष्ट करने का आरोप लगाया है और साथ ही ये भी कहा है कि राजनेताओं को शायद ही कभी इतिहास की अनुभूति होती है। इतिहासकार एस इरफान हबीब ने जॉय दास के ट्वीट की रीट्वीट किया है। जॉय ने लिखा है कि पहली तस्वीर जलियांवाला बाग का मूल प्रवेश द्वार है, जहां से जनरल डायर ने नरसंहार का आदेश देने से पहले प्रवेश किया था। यह उस भयानक दिन की याद दिलाती है।
दूसरी तस्वीर नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा इसे “संरक्षण” के नाम पर पुनर्निर्मित करने के बाद की है। देख लें ये कैसा दिखता है।
इसी पर एस इरफान हबीब ने लिखा है कि इतिहास से छेड़छाड़ किए बिना विरासतों की देखभाल करें। नवीकरण के नाम विरासतों का असली महत्व खत्म होता नहीं दिखना चाहिए। इस मामले पर सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि केवल वे जो स्वतंत्रता संग्राम से दूर रहे, वे ही इसी प्रकार का कांड कर सकते हैं।
इतिहासकार किम ए वैगनर ने भी इस मामले पर ट्वीट किया है कि यह सुनकर स्तब्ध हूं कि 1919 के अमृतसर नरसंहार के स्थल जलियांवाला बाग को नया रूप दिया गया है, जिसका साफ अर्थ है कि घटना के अंतिम निशान भी मिटा दिए गए हैं। यही मैंने अपनी किताब में स्मारक के बारे में लिखा है, एक स्थान का वर्णन करते हुए, जो अब खुद इतिहास बन गया है।
उल्लेखनीय है कि, पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलियांवाला बाग के पुनर्निर्मित परिसर का उद्घाटन किया है। इस बाग का केंद्रीय स्थल माने जाने वाले ‘‘ज्वाला स्मारक’’ की मरम्मत करने के साथ-साथ, परिसर का पुनर्निर्माण किया गया है, वहां स्थित तालाब को एक ‘‘लिली तालाब’’ के रूप में फिर से विकसित किया गया है तथा लोगों को आने-जाने में सुविधा के लिए यहां स्थित मार्गों को चौड़ा किया गया है। मोदी ने पुनर्निर्मित परिसर का उद्घाटन करते हुए कहा था कि यह देश का कर्तव्य है कि इसके इतिहास की रक्षा करें।
इस परिसर में अनेक नई और आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था की गई है जिनमें लोगों की आवाजाही के लिए उपयुक्त संकेतकों से युक्त नव विकसित मार्ग, महत्वपूर्ण स्थानों को रोशन करना, और अधिक वृक्षारोपण के साथ बेहतर भूदृश्य, चट्टान युक्त निर्माण कार्य तथा पूरे बगीचे में ऑडियो नोड्स लगाना शामिल हैं। इसके अलावा मोक्ष स्थल, अमर ज्योति और ध्वज मस्तूल को समाहित करने के लिए भी कार्य किया गया है।