“दसॉल्ट ने राफेल में भ्रष्टाचार की 284 करोड़ रुपए की पहली किस्त अनिल अंबानी को किया भुगतान”

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राफेल सौदे को लेकर मोदी सरकार के फैसले पर उठाए जा रहे सवालों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार (नवबंर) को एक बार फिर प्रेस कॉन्फेंस कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति अनिल अंबानी पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि अनिल अंबानी की कंपनी में दसॉल्ट एविएशन ने 284 करोड़ रुपये राफेल में हुए भ्रष्टाचार की पहली किस्त के रूप में अनिल अंबानी को भुगतान कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि उसी पैसे से अनिल अंबानी ने जमीन खरीदी है। दसॉल्ट के सीईओ साफ झूठ बोल रहे हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष ने राफेल विमान सौदे को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि इसमें हुए भ्रष्टाचार में उनकी सीधी भागीदारी है और दलाली की 284 करोड़ रुपए की पहली किस्त उनके चहेते उद्योगपति अनिल अंबानी तक पहुंच चुकी है। गांधी ने पार्टी मुख्यालय में अचानक बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस सौदे में हुए भ्रष्टाचार की पहली किस्त का भुगतान अनिल अंबानी की कंपनी में निवेश करके किया जा चुका है।

समाचार एजेंसी यूनिवार्ता के मुताबिक राहुल गांधी ने सवाल किया फ्रांस की विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट ने 8.30 लाख रुपए की घाटे वाली कंपनी में 284 करोड़ रुपए का निवेश किस आधार पर किया है? कांग्रेस अध्यक्ष की यह टिप्पणी मीडिया में एक दिन पहले छपी उन खबरों के बाद आई है जिनमें कहा गया है कि राफेल विमान बनाने वाली फ्रांस की दसॉल्ट कंपनी ने अनिल अंबानी की कंपनी में जमीन खरीदने के लिए 284 करोड़ रुपए का निवेश किया है।

राहुल गांधी ने कहा कि अब दसॉल्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का भी झूठ पकड़ा गया है। उसने कहा था कि अनिल अंबानी की कंपनी के पास जमीन थी इसलिए एचएएल से ठेका छीनकर उसे राफेल का काम दिया गया। अब खुलासा हो रहा है कि दसॉल्ट से मिले पैसे के बाद अंबानी की कंपनी ने जमीन खरीदी है।

उन्होंने कहा कि यह साफ हो गया है कि अम्बानी की कंपनी ने राफेल सौदे में मिली दलाली के पैसे से फैक्ट्री लगाने के लिए जमीन खरीदी थी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को यह सब जानकारी है लेकिन वह चुप हैं। कुछ बोल नहीं रहे हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि अब वह बचने वाले नहीं है इसलिए चुप रहकर इस भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (31 अक्टूबर) को केंद्र सरकार से कहा कि वह फ्रांस से खरीदे जा रहे 36 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत की जानकारी उसे 10 दिन के भीतर सीलबंद लिफाफे में सौंपे। साथ ही इसपर सहमति जताई कि ‘‘सामरिक और गोपनीय’’ सूचनाओं को सार्वजनिक करने की जरूरत नहीं है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की तीन सदस्यीय पीठ ने अपने आदेश में सरकार को कुछ छूट भी दी।

सरकार ने सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि इन लड़ाकू विमानों कीमत से जुड़ी सूचनाएं इतनी संवेदनशील हैं कि उन्हें संसद के साथ भी साझा नहीं किया गया है। न्यायालय ने कहा कि केन्द्र सौदे के फैसले की प्रक्रिया को सार्वजनिक करे, सिर्फ गोपनीय और सामरिक महत्व की सूचनाएं साझा नहीं करे। पीठ ने कहा कि सरकार 10 दिन के भीतर ये सूचनाएं याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करे। याचिकाकर्ता इस पर सात दिन के भीतर जवाब दे सकते हैं। न्यायालय ने मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 14 नवंबर तय की है।

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