शनिवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक कैनेडी हॉल में छात्र संघ द्वारा आयोजित ऑल इंडिया मीडिया संगोष्ठी के दौरान मीडिया में नैतिकता और इसका अभाव चर्चित विषय बन गया।
इस अवसर पर बोलते हुए, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वीसी, लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह ने मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया है कि परिसर में पर्यावरण महिला छात्रों के लिए अनुकूल नहीं होता। उन्होंने इस बात को उजागर करने की मांग की कि वार्षिक समारोह में तैनात स्वयंसेवकों के पूरे के पूरे समूह में लड़कियां की संख्या बहुत अधिक थी।
इस अवसर पर जनरल शाह ने कहा कि सर सैयद आंदोलन का दूसरा भाग शुरू करने का यहीं समय है। हमें प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर मुस्लिमों के लिए अत्याधुनिक शिक्षा सुविधाएं बनाने के लिए काम करने की जरूरत है।
मीडिया की भूमिका पर चर्चा करते हुए, लना का रिपोर्टर के प्रधान संपादक रिफत जावेद ने कहा कि भारत में पत्रकारों के लिए नैतिकता की मौजदूगी न होना चिंता की एक गंभीर वजह बन गई है। इस पर आगे अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि किसी को चैनल मालिकों के ज़मीर (विवेक) पर सवाल उठाए जाने की जरूरत है, न कि भारतीय मीडिया के दोषों को गिनाने के लिए ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों पर।
उन्होंने आगे कहा कि ष्भारतीय पत्रकारों की भारी संख्या ईमानदार लोगों की हैं और वे निष्पक्ष रिपोर्ट करना चाहते हैं, और ये बात मैं इसलिए भी कह सकता हूं कि क्योंकि मैंने इंडिया टुडे समूह में अपने कार्यकाल के दौरान 350 पत्रकारों की एक टीम का नेतृत्व किया था।
उन्होंने इसका एक उदाहरण देते हुए बताया कि हाल ही में एक पत्रकार ने मुझे बताया कि राजस्थान में दक्षिणपंथी आतंकवादियों ने जब एक मुस्लिम डेयरी किसान की हत्या कर दी तो उसकी खबर होने के बावजूद भी चैनल उसे दिखाना नहीं चाहता था जिससे वह बेहद दुखी था।
ये पत्रकार अक्सर अपने लालची मालिकों के शासनकाल में असहाय महसूस करते हैं। तो फिर ऐसे में आपको आपको चैनल मालिकों के विवेक पर सवाल पूछने की जरूरत नहीं है, न कि पत्रकारों पर। भारत में धर्मनिरपेक्ष के खतरे पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए हमंे सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने की जरूरत है।