मोदी सरकार के तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपने आंदोलन के छह माह पूरे होने पर बुधवार (26 मई) को ‘काला दिवस’ मनाया और इस दौरान उन्होंने काले झंडे फहराए, सरकार विरोधी नारे लगाए, पुतले जलाए और प्रदर्शन किया।

गाजीपुर में प्रदर्शन स्थल पर थोड़ी अराजकता की भी खबर है, जहां किसानों ने भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती के बीच केन्द्र सरकार का पुतला जलाया। ‘काला दिवस’ प्रदर्शन के तहत किसानों ने तीन सीमा क्षेत्रों सिंघू, गाजीपुर और टिकरी पर काले झंडे लहराए और नेताओं के पुतले जलाए।
दिल्ली पुलिस ने लोगों से कोरोना वायरस संक्रमण से हालात और लागू लॉकडाउन के मद्देनजर इकट्ठे नहीं होने की अपील की है और कहा कि प्रदर्शन स्थल पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए वह कड़ी नजर बनाए रखे है।
किसान नेता अवतार सिंह मेहमा ने कहा कि न केवल प्रदर्शन स्थल पर बल्कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के गांवों में भी काले झंडे लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने अपने घरों और वाहनों पर भी काले झंडे लगाए हैं।
मेहमा ने कहा, ‘‘सरकार के नेताओं के पुतले जलाए गए। आज का दिन यह बात दोहराने का है कि हमें प्रदर्शन करते हुए छह माह हो गए हैं लेकिन सरकार जिसके कार्यकाल के आज सात वर्ष पूरे हो गए, वह हमारी बात नहीं सुन रही है।’’
गौरतलब है कि, तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और देश के कुछ अन्य हिस्सों से आए हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम,2020; मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम,2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता को लेकर सरकार का विरोध कर रहे हैं। (इंपुट: भाषा के साथ)