जनता दल यूनाईटेड (JDU) से निकाले जाने के बाद देश के जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर मंगलवार (18 फरवरी) को पटना में मीडिया से पहली बार मुखातिब हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि नीतीश जी से मेरे अच्छे संबंध हैं। मेरे मन में उनके लिए अपार सम्मान है। मैं उनके फैसले पर सवाल नहीं उठाऊंगा।
प्रशांत किशोर ने कहा कि, “नीतिश जी ने मुझे अपने बेटे की तरह रखा, कई मामलों में मैं भी उनको अपने पिता तुल्य ही मानता हूं। उनका मुझे पार्टी में शामिल करने का, पार्टी से निकालने का जो भी फैसला है उसको मैं सहृदय स्वीकार करता हूं।” इस दौरान प्रशांत किशोर ने नीतीश के भाजपा के साथ गठबंधन पर सवाल उठाए। प्रशांत किशोर ने ‘बात बिहार की’ नाम से कैंपेन की शुरू करने का ऐलान किया।
पटना में मीडिया से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने बड़ा बयान भी दिया। प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “जेडीयू की विचारधारा को लेकर मेरे और नीतीश जी के बीच कई बार विचार-विमर्श हुए हैं। नीतीश जी ने हमेशा हमें बताया कि गांधी जी के आदर्शों को पार्टी कभी नहीं छोड़ सकती, लेकिन अब जेडीयू गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के प्रति नरम है। मेरे लिए गांधी जी और गोडसे साथ-साथ नहीं चल सकते है।”
जेडीयू के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने कहा कि, “2005 में बिहार की जो स्थिति थी, आज भी दूसरे राज्यों के मुकाबले बिहार की स्थिति वही है। नीतीश जी ने शिक्षा में काम किया- साइकिल बांटी, पोशाक बांटी और बच्चों को स्कूल तक पहुंचाया लेकिन आप 15 साल में एक अच्छी शिक्षा नहीं दे पाएं।”
प्रशांत किशोर ने बताया कि नीतीश और उनके बीच दो वैचारिक मतभेद हैं। उन्होंने कहा, ‘पहला कारण वैचारिक है। जितना मैं नीतीश जी को जानता हूं वह हमेशा गांधी, जेपी और लोहिया को नहीं छोड़ सकते हैं। मेरे मन में दुविधा यह है कि आप गांधी जी की बातों का शिलापट लगवा रहे हैं, यहां के लोगों को गांधी के विचारों से अवगत करा रहे हैं। उस समय गोडसे के साथ खड़े लोग उनके साथ भी कैसे खड़े हो सकते हैं। दोनों बातें एक साथ नहीं हो सकती है। दूसरे बीजेपी और जेडीयू में गठबंधन में उनकी स्थिति को लेकर है। 2004 की तुलना में आज गठबंधन में उनकी स्थिति दयनीय है।’