जम्मू-कश्मीर प्रशासन के अधिकारियों द्वारा जारी एक नए आदेश के बाद सोमवार को कश्मीर में सरगर्मियों के बीच ये अटकलें चल रही हैं कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार राज्य के विशेष दर्जे को लेकर कोई अहम फैसला ले सकती है। घाटी में अनिश्चितता के बीच राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर केंद्र से चीजों को स्पष्ट करने की मांग की है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का वक्त मांगा है।
दरअसल, समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, प्रशासन ने एक आदेश जारी कर श्रीनगर के पांच जोनल पुलिस अधीक्षकों से शहर में स्थित मस्जिदों और उनकी प्रबंध समितियों की सूची उपलब्ध कराने को कहा है। जबकि एक अन्य आदेश में पुलिस अधिकारियों से टैक्सियों की यात्री क्षमता और पेट्रोल पंपों की ईंधन क्षमता की सूचना जुटाने को कहा गया है। इससे पहले केंद्र ने अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों को घाटी में भेजने का फैसला किया है।
कश्मीर घाटी में केंद्रीय बलों के करीब 10,000 जवानों को भेजने के आदेश के कुछ दिन बाद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला से जम्मू कश्मीर में मौजूदा हालात पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने का आह्वान किया। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के आम सहमति बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने का अनुरोध किए जाने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने मुलाकात का वक्त मांगा है। अब्दुल्ला के इस हफ्ते बैठक आयोजित करने की उम्मीद है।
उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया, “मौजूदा हालत पर चर्चा और आगे की राह के लिये आम सहमति बनाने के उद्देश्य से हमें गुरुवार को यहां सर्वदलीय बैठक करने की उम्मीद है।” जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का वक्त मांगा है लेकिन उनके दफ्तर से अभी जवाब नहीं आया है। अब्दुल्ला ने कहा, “हमनें प्रधानमंत्री से मुलाकात का अनुरोध किया है और जम्मू कश्मीर में संवेदनशील हालात के मद्देनजर मुझे जल्द ही उनके कार्यालय से जवाब आने की उम्मीद है।”
इसके अलावा महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘हालिया घटनाक्रम के मद्देनजर जम्मू कश्मीर में लोगों के बीच दहशत फैल गयी है। मैंने डॉ. फारूक अब्दुल्ला साहब से सर्वदलीय बैठक बुलाने का अनुरोध किया है। एक साथ होकर काम करने और एकजुट जवाब देने की जरूरत है। हम कश्मीरियों को साथ मिलकर खड़े होने की जरूरत है।’’
In light of recent developments that have caused a sense of panic amongst people in J&K, I’ve requested Dr Farooq Abdullah sahab to convene an all party meeting. Need of the hour is to come together & forge a united response. We the people of Kashmir need to stand up as one
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) July 29, 2019
वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने इस पर यह कहते हुए जवाब दिया कि पार्टी राज्य के लिये केंद्र सरकार की मंशा को समझने की कोशिश कर रही है। उन्होंने ट्वीट किया, “जम्मू कश्मीर में दूसरे दलों के वरिष्ठ नेताओं से कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा से पहले केंद्र सरकार से राज्य को लेकर उसकी मंशा को समझने की आवश्यकता है और यह भी कि वह मौजूदा हालात को कैसे देखते हैं। जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस अभी इस पर ध्यान केंद्रित कर रही है।”
Before calling senior leaders from other parties in J&K to discuss the current situation it’s important to try to understand from the Central Govt about their intentions for the state & also how they see the situation at the moment. This is what @JKNC_ is focused on. https://t.co/dDW8G5fMV8
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) July 29, 2019
श्रीनगर के पांच जोनल पुलिस अधीक्षकों से शहर में स्थित मस्जिदों और उनकी प्रबंध समितियों की सूची उपलब्ध कराने के आदेश के बाद एक बार फिर ये कयास तेज हो गए हैं कि आने वाले समय में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे के संदर्भ में कुछ बड़े फैसले किए जा सकते हैं।
श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा रविवार रात जोनल पुलिस अधीक्षकों को जारी किये गए आदेश के मुताबिक, “कृपया दिए गए प्रारूप में अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली मस्जिदों और प्रबंध समितियों के बारे में विवरण इस कार्यालय को तत्काल उपलब्ध कराएं जिससे उसे उच्चाधिकारियों को प्रेषित किया जा सके।”
इसके अलावा अधिकारियों से यह भी कहा गया है कि वे मस्जिद समिति के वैचारिक रुझान के बारे में भी जानकारी उपलब्ध कराएं। सोशल मीडिया पर नजर आ रहे एक अन्य सरकारी आदेश के मुताबिक यहां पुलिस अधिकारियों से कहा गया है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र वाले इलाकों में टैक्सियों की यात्री क्षमता और पेट्रोल पंपों की ईंधन क्षमता के बारे में जानकारी उपलब्ध कराएं।
इन आदेशों को गोपनीय रहना था लेकिन ये सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं। कुछ अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अब तक ये आदेश नहीं मिले हैं। केंद्र द्वारा अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों को घाटी में भेजे जाने के बाद कश्मीर में ऐसी अटकलों का दौर शुरू हो गया है। मुख्यधारा के दलों ने कश्मीर को मिले विशेष दर्जे से किसी तरह की छेड़छाड़ के विरोध का आह्वान किया है।
कश्मीर में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की पृष्ठभूमि में शहर में नए सुरक्षा नाकों का निर्माण भी देखा जा रहा है। पुराने शहर, पर्यटकों की ज्यादा आवाजाही वाले इलाकों में यहां कई बंकर बनाए गए हैं। हालांकि, गृह मामलों पर राज्यपाल के सलाहकार के विजय कुमार ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि वह हर समय अफवाहों और कयासों का जवाब नहीं दे सकते।
कुमार ने कहा, “अगर कोई सोशल मीडिया पर अफवाह या अफरा-तफरी मचा रहा है तो मुझे उसका जवाब नहीं देना चाहिए, यह उचित नहीं होगा। किसी ने कहा कि अतिरिक्त सुरक्षा बल आ रहे हैं। यह यहां उपलब्ध सुरक्षा तंत्र के लिये सोची समझी प्रतिक्रिया है।”
कुमार ने कहा, “अमरनाथ यात्रा पर ध्यान केन्द्रित करने के मद्देनजर सुरक्षा में कुछ कटौती की गई थी। इसलिये जरूरत पड़ने पर बातचीत के बाद बलों को थोड़ा बढ़ाने का अनुरोध किया गया। यह उस योजना का हिस्सा है जिस पर अभी अमल किया जाना है।”
Vijay Kumar, Advisor to Govt, on ‘order viral on social media asking details of all mosques of J&K': If somebody is causing panic or rumor on social media, then I should not be countering it. What is the source of this rumor? It won’t be proper for me to keep reverting every time pic.twitter.com/sqNPTwH9EM
— ANI (@ANI) July 29, 2019
इससे पहले शनिवार को बडगाम में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के एक अधिकारी ने अपने कर्मचारियों से कहा था कि कश्मीर घाटी में “लंबे समय के लिये हालात खराब होने के पूर्वानुमान” को देखते हुए वो कम से कम चार महीने के लिए अपने घरों में राशन का भंडारण कर लें और दूसरे कदम उठा लें। इससे भी इन चर्चाओं को बल मिला।
बडगाम में आरपीएफ के सहायक सुरक्षा आयुक्त सुदेश नुग्याल द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है, “विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों और एसएसपी/जीआरपी/एसआईएनए (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, सरकारी रेलवे पुलिस, श्रीनगर) द्वारा कश्मीर घाटी में हालात बिगड़ने की आशंका के संबंध में मिली जानकारी, और लंबे समय तक कानून-व्यवस्था की स्थिति बने रहने को लेकर 27 जुलाई को एक एहतियाती सुरक्षा बैठक हुई थी।”
अधिकारी ने कर्मचारियों से घाटी में “हालात खराब होने की आशंका” को देखते हुए सात दिनों तक के लिये पीने का पानी भरकर रखने और गाड़ियों को कानून-व्यवस्था से निपटने के लिये तैयार रखने को कहा है। रेलवे ने हालांकि स्पष्ट किया कि इस पत्र का कोई आधार नहीं है और किसी अधिकारी को इसे जारी करने का अधिकार नहीं है।
राजग नेतृत्व वाले केंद्र ने हाल में घोषणा की थी कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 100 और कंपनियां (10,000 जवान) राज्य में भेजी जाएंगी। सरकार ने कहा है कि कश्मीर घाटी में आतंक रोधी प्रयासों और कानून -व्यवस्था से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए जवानों की तैनाती की जा रही है।
Top govt sources: Inputs about a major terrorist attack being planned by Pakistan-based terrorist groups in Kashmir valley, behind the govt decision to deploy 100 more companies of paramilitary forces there. pic.twitter.com/rwHmhXKSec
— ANI (@ANI) July 28, 2019
कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र अनुच्छेद 35 ए को खत्म कर सकता है। यह अनुच्छेद राज्य के निवासियों को सरकारी नौकरी और जमीन के अधिकार के मामले में विशिष्ट अधिकार प्रदान करता है। पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में इस तरह की अटकलें चल रही हैं। हालांकि, मुख्य धारा के राजनीतिक दलों ने विशेष दर्जा में किसी भी तरह के दखल के प्रयासों का विरोध करने की बात कही है। (इनपुट- भाषा के साथ)