प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को बड़ा झटका लगा है। एमएलसी की दोनों सीटें और काशी विद्यापीठ में छात्रसंघ चुनाव हारने के बाद रविवार को भाजपा की छात्र इकाई एबीवीपी संस्कृत यूनिवर्सिटी की भी सभी सीटें हार गई है। सभी सीटों पर कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई ने कब्जा जमाया है। छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी की हार को भाजपा की हार माना जा रहा है।
अध्यक्ष पद पर एनएसयूआई के कृष मोहन शुक्ला ने 442 वोट पाकर एबीवीपी के अजय दुबे (306) को 136 वोटों से हराया। उपाध्यक्ष पद पर एनएसयूआई के अजीत कुमार चौबे ने 411 वोट हासिल कर एबीवीपी के चंद्रमौली तिवारी (343) को 68 वोटों से हराया। महामंत्री पद पर एनएसयूआई के शिवम चौबे ने 485 वोट हासिल कर एबीवीपी के गौरीशंकर गंगेले (266) को 219 वोटों से हराया। पुस्तकालय मंत्री पद पर एनएसयूआई के आशुतोष कुमार मिश्र ने 415 वोट हासिल कर एबीवीपी के विवेकानंद पांडेय (338) को 77 वोटों से हराया।
नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में चारों सीटों पर विजय प्राप्त की है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में काशी विद्यापीठ के बाद संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में एनएसयूआई ने सभी पदों व समस्त 7 संकायों पर जीत दर्ज की है।
एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने कहा है कि, “यह जीत तमाम छात्रों की जीत है, जिन्होंने एनएसयूआई के उम्मीदवारों पर विश्वास जताया तथा यह एबीवीपी की हार नहीं है बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हार है। क्योकि यह मोदीजी का गढ़। एनएसयूआई ने मोदीजी से उनका किला छीना है जल्द ही पूरा यूपी छीनेंगे।”
एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव एवं यूपी प्रभारी अविनाश यादव का कहना है कि, “एबीवीपी ने एनएसयूआई को हराने के लिए हिंसा का सहारा लिया, लेकिन संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों ने एबीवीपी की हिंसा की राजनीति को नकार दिया।”
एनएसयूआई संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के तमाम छात्रों से यह वादा करती है कि हम आपकी तमाम उम्मीदों पर खरा उतरेंगे। (इंपुट: IANS के साथ)