कांग्रेस ने रविवार (26 अप्रैल) को कहा कि उसे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार (27 अप्रैल) को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ होने वाली बैठक में लॉकडाउन खत्म होने और उसके बाद की स्थिति के लिए एक विस्तृत एवं संपूर्ण योजना बताएंगे। कोरोना वायरस की वजह से देश में लॉकडाउन है और इस संकट के दौर से निपटने के लिए मोदी सरकार लगातार किसी न किसी रणनीति पर काम कर रही है। बता दें कि, कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया है।

कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने सरकार की कोविड-19 की जांच रणनीति पर भी सवाल उठाए और इस बात पर हैरानी जताई कि जब देश की प्रतिदिन एक लाख नमूनों की जांच करने की क्षमता है तो प्रतिदिन सिर्फ 39,000 जांच क्यों की जा रही है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किए गए एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह समस्या को कम करके दिखाने का प्रयास है या फिर सरकार इस अनिश्चय की स्थिति में है कि अगर हम जांच क्षमता बढ़ाते हैं तो उसके पास उसके परिणामों से निपटने की क्षमता नहीं है?’’
तिवारी ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि सोमवार को मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की बैठक में हम नैतिकतापूर्ण व्याख्यान नहीं सुनेंगे बल्कि अगले 90 दिनों के लिए इस बारे में एक सुविचारित, स्पष्ट और सटीक योजना देखेंगे कि भारत सरकार, राज्य और जिलों से कोविड-19 से निपटने के लिए क्या उम्मीद की जाती है।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस उम्मीद करती है कि प्रधानमंत्री लॉकडाउन समाप्त करने और अगले तीन महीनों की स्थिति से निपटने के लिए एक व्यापक, समग्र रणनीति सामने रखेंगे।
उन्होंने कहा कि आपदा या वैश्विक महामारी से निपटने के लिए जब तक कोई राष्ट्रीय योजना नहीं होगी, तब तक राज्य लॉकडाउन के बाद के हालात से निपटने के लिए कोई योजना नहीं बना सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार से यह पूछना बहुत जरूरी है कि उसकी आगे की योजना क्या है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब हम इस लॉकडाउन को एक चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की तैयारी कर रहे हैं, अगले एक महीने के लिए क्या योजना है? यह समझा जा सकता है कि जब यह महामारी शुरू हुई थी तो सरकार को संभवत: इसकी तीव्रता और गंभीरता के बारे में पता नहीं था और इसलिए वह तैयार नहीं थी…।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकार और प्रधानमंत्री से पूछना चाहते हैं कि जब वह सोमवार को मुख्यमंत्रियों से मिलेंगे तो क्या सरकार के पास एक व्यापक, समग्र रणनीति है, जिसे वह मुख्यमंत्रियों के सामने रखेगी कि यह अगले दो महीने के लिए योजना है, क्योंकि तीन मई को कोविड-19 गायब नहीं होने वाला है।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि टीका (वैक्सीन) नहीं होने से वायरस यहां मौजूद रहेगा और इसलिए हमें इसके साथ रहने के लिए खुद को तैयार करना होगा। उन्होंने सवाल किया, ‘‘सर्वश्रेष्ठ रणनीति क्या है, जिससे भारत इस महामारी का सामना कर सकता है?’’
उन्होंने सरकार से यह भी सवाल किया कि क्या एक लाख जांच की क्षमता होने के बावजूद ‘रैंडम टेस्ट’ की दर जानबूझकर 39,000 से कम रखी गई। उन्होंने सवाल किया, ‘‘हम क्षमता के अनुसार जांच क्यों नहीं कर रहे हैं?” तिवारी ने कहा कि देश में अब तक 5,79,957 कोविड-19 जांच किए गए हैं, जो वैश्विक औसत से नीचे है। उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि हमारे पड़ोसियों ने भी अधिक जांच किए हैं और वे आंकड़े सार्वजनिक हैं।’’ भारत में केवल तीन लाख आरएनए किट बचे होने का हवाला देते हुए तिवारी ने कहा, “यदि हमारे पास केवल तीन लाख आरएनए किट हैं और एक दिन में 39,000 जांच कर रहे हैं, तो इसका मतलब है एक सप्ताह में जांच करने की हमारी क्षमता पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।’’
गौरतलब है कि, आरएनए किट जांच प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने कहा, ‘‘दूसरे शब्दों में, भारत जांच कवच के बिना हो सकता है, इसलिए सरकार को देश को यह स्पष्ट रूप से बताने की आवश्यकता है कि पिछले 36 दिनों में, कितने जांच किट आयात किए गए या घरेलू तौर पर निर्मित किये गए।’’ उन्होंने सरकार से यह भी जानने की कोशिश की कि इन किट को राज्यों में कैसे वितरित किया गया और विभिन्न राज्यों से क्या मांग थी, यह देखते हुए कि देश में कोरोना वायरस के 60 प्रतिशत मामले इसके सबसे बड़े 10 शहरों में से आ रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट की स्थिति के बारे में भी पूछा, उनमें से कितने का निर्माण किया गया और पिछले 36 दिनों में कितने वितरित किये गए।उन्होंने कहा, ‘‘वेंटिलेटर और अन्य महत्वपूर्ण चिकित्सा बुनियादी ढांचे तथा मास्क के संबंध में स्थिति क्या है क्योंकि यह राष्ट्रीय रणनीति का सबसे महत्वपूर्ण घटक है।’’ तिवारी ने सरकार से पूछा कि क्या उसके पास प्रवासी श्रमिकों से निपटने की रणनीति है, जो राज्य की सीमाओं पर स्थित पृथक केंद्रों में फंसे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान इन श्रमिकों को घर पहुंचने देने के लिए एक कार्यप्रणाली होनी चाहिए।उन्होंने सवाल किया, ‘‘सरकार उनका घर लौटना सुविधाजनक बनाने के लिए क्या कर रही है या क्या हम उम्मीद करते हैं कि जब हम अपने घरों में सुरक्षित बैठेंगे, तो वे भारत की सड़कों पर संघर्ष करते रहेंगे, अपने घरों को वापस जाने के लिए अपने परिवारों के साथ पैदल मार्च करते रहेंगे।’’ (इंपुट: भाषा के साथ)