मुश्किल में पड़ी ‘हवाई चप्पल’ से ‘हवाई जहाज’ तक की PM मोदी की महत्वाकांक्षी योजना, फंड की कमी की वजह से नहीं पकड़ पा रही रफ्तार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल देश के आम लोगो को सस्ता हवाई सफर कराने की योजना ‘उड़ान’ शुरू की थी। हालांकि यह योजना अभी भी रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। दरअसल, छोटे शहरों तक हवाई सफर शुरू करने लिए आवश्यक हवाई अड्डों को शुरू करने का काम तेजी नहीं पकड़ पा रहा है। बता दें कि मोदी सरकार का सपना है कि हवाई चप्पल पहनने वाले आम लोग भी हवाई सफर कर सकें।

(PTI File Photo)

क्षेत्रीय एयरपोर्टों को तैयार करने की धीमी गति की वजह से छोटे-छोटे कस्बों और शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने तथा करोड़ों हवाई यात्री बढ़ाने की प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना दिक्कतों की चपेट में आ रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी की ‘उड़ान’ फंड की कमी की वजह से रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। बता दें कि ‘उड़ान’ योजना के तहत मोदी सरकार की मंशा थी कि छोटे शहरों से सस्ती हवाई सेवा शुरू की जाए, ताकि हवाई चप्पल पहन कर आम लोग भी हवाई सफर कर सकें।

दरअसल, समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक छोटे शहरों के लिए हवाई सफर शुरू करने के लिए जरूरी एयरपोर्ट को तैयार करने का काम रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। पीएम मोदी ने पिछले साल इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी। उन्होंने 27 अप्रैल, 2017 को ‘उड़ान’ के तहत प्रथम उड़ान का संचालन एलायंस एयर द्वारा शिमला-दिल्‍ली रूट पर किया गया था। इसके तहत पुराने एयरपोर्ट को दुरुस्त करने के साथ ही नए एयरपोर्ट का निर्माण किया जाना है। साथ ही एयरलाइंस को भी कुछ सहूलियतें मिलेंगी।

इस योजना के तहत मोदी सरकार ने यह तय किया था कि साल 2017 के आखिर तक 31 नए एयरपोर्ट्स खोले जाएं लेकिन अब तक सिर्फ 16 ही शुरू हो सके हैं। एक अधिकारी ने कहा कि कुछ राज्यों का कहना है कि उनके पास सामान्य उपकरणों को खरीदने के लिए भी फंड नहीं है। कुछ अन्य केस में एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर्स, टर्मिनल बिल्डिंग, सिक्यॉरिटी सिस्टम्स को तैयार करने में उम्मीद से ज्यादा समय लग रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक अब सरकार ने खुद इसमें हस्तक्षेप किया है और अब वह स्वयं उपकरण खरीदकर राज्य सरकारों को लीज़ पर उपलब्ध करवाएगी, ताकि शेष 15 एयरपोर्ट भी जून माह के अंत तक संचालन शुरू कर पाएं। 2019 लोकसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री मोदी इस योजना को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं जिससे विकासपरक सुधार की उनकी साख बरकरार रहे।

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