मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेप कांड: पीआईबी ने रद्द की मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की मान्यता, कई अखबारों का मालिक है केस का मास्टर माइंड

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बिहार के मुजफ्फरपुर के ‘बालिका गृह’ नाम के नारी निकेतन में मासूम बच्चियों के साथ यौन शोषण के आरोपों ने तूफान मचा दिया है। राज्य सरकार के अनुरोध पर सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया है। यह मामला मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में रह रहीं लड़कियों के मानसिक, शारीरिक एवं यौन उत्पीड़न से संबंधित है। बालिका गृह में 34 बच्चियों के यौन उत्पीड़न के सनसनीखेज खुलासे के बाद घटना की चर्चा पूरे देश में हो रही है।

मामला सामने आने के बाद 30 मई को यहां से सभी बच्चियों को मोकामा, पटना और मधुबनी में शिफ्ट किया गया और 31 मई को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई। आरोप है कि बालिका गृह में रह रही लड़कियों का लंबे समय से शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण किया जाता था। विपक्ष का कहना है कि जिन पर बच्चियों के साथ रेप के आरोप हैं उनको राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है।

इस बीच पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश कुमार ठाकुर की मान्यता बुधवार को रद्द कर दी है। बता दें कि ब्रजेश हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में प्रकाशित होने वाले अखबारों का मालिक है। दरअसल, यह आरोप है कि बड़े पैमाने पर सरकारी विज्ञापन पाने के लिए इन अखबारों के सर्कुलेशन का आंकड़ा बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया था।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत आने वाले पीआईबी ने अपने आदेश में कहा है कि ‘प्रात:कमल’ हिंदी दैनिक के संवाददाता ब्रजेश कुमार को जारी कार्ड संख्या 2275 की पीआईबी प्रेस मान्यता सक्षम प्राधिकार की मंजूरी से तत्काल प्रभाव से रद्द करने का फैसला किया गया है। कुमार की कथित आपराधिक संलिप्तता के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है।

पीआईबी ने सभी मंत्रालयों और संबद्ध विभागों से भी यह कहा है कि कुमार की मान्यता के आधार पर उन्हें दी गई सारी सुविधाएं वापस ले ली जाए। इनमें स्वास्थ्य सुविधाएं, ठहरने का सरकारी इंतजाम, रेलवे पास व अन्य फायदे शामिल हैं। बिहार सरकार के सूचना एवं जन संपर्क विभाग ने कुमार के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उनकी प्रेस मान्यता रद्द कर दी।

इसने यह पता लगाने के लिए जांच भी शुरू कर दी है कि कुमार और उनके सहकर्मियों ने मान्यता प्राप्त पत्रकारों को प्राप्त सुविधाओं का क्या कभी दुरुपयोग किया है। अधिकारियों ने बताया कि कुमार को एनसीआर की एक पॉश इलाके में पीआईबी मान्यता प्राप्त पत्रकार कोटा के तहत एक सरकारी मकान भी मिला हुआ है, जहां उनका दिल्ली कार्यालय है।

कुमार के खिलाफ मंगलवार को एक नई प्राथमिकी दर्ज की गई। उनके एनजीओ द्वारा संचालित एक स्वयं सहायता समूह के परिसर से 11 महिलाओं के लापता होने के सिलसिले में यह एफआईआर दर्ज की गई। ब्रजेश कुमार अभी न्यायिक हिरासत में है।

कौन है ब्रजेश ठाकुर?

दरअसल यह बालिका गृह ब्रजेश ठाकुर के घर में चल रहा था। ब्रजेश ठाकुर हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में प्रकाशित होने वाले तीन अखबारों का मालिक है। उस पर इन अखबारों की कुछ प्रतियां छपवाकर उस पर बड़े-बड़े सरकारी विज्ञापन पाने में कामयाब होने के आरोप है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ब्रजेश तीन अखबारों मुजफ्फरपुर से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र ‘प्रात: कमल’, पटना से प्रकाशित एक अंग्रेजी अखबार ‘न्यूज नेक्स्ट’ और समस्तीपुर जिला से उर्दू में प्रकाशित एक अखबार ‘हालात ए बिहार’ से प्रत्यक्ष या परोक्ष से जुड़ा हुआ है।अखबारों का दफ्तर भी इसी बालिका गृह के कैंपस में है।

बीबीसी हिंदी के मुताबिक ब्रजेश ठाकुर के पिता भी अखबार के धंधे में थे। उन पर अखबारों के लिए सब्सिडी के कागज बाजार में बेचने के आरोप थे और इसे लेकर उनके घर पर पहले भी सीबीआई की रेड पड़ चुकी है। ब्रजेश ठाकुर के घर में जो बालिका गृह चल रहा था उसे सरकार की आर्थिक मदद मिल रही थी। ब्रजेश ठाकुर के घर में यह बालिका गृह 31 अक्टूबर 2013 से चल रहा था।

ब्रजेश को पीआईबी और राज्य सूचना एवं जनसंपर्क विभाग (आईपीआरडी) दोनों से मान्यता प्राप्त पत्रकार का दर्जा प्राप्त था, जो कि उनके खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद उनकी मान्यता दोनों जगहों से रद्द कर दी गयी। आईपीआरडी सूत्रों ने बताया कि उत्तर बिहार से जुडी परियोजनाओं का सरकारी विज्ञापन प्रात: कमल अखबार का प्रकाशन शुरू होने के समय से प्रकाशित हो रहा है।

मीडिया रिपोर्टों का दावा किया गया है कि ब्रजेश के स्वामित्व वाले हिंदी दैनिक की 300 से अधिक प्रतियां प्रकाशित नहीं होती हैं लेकिन प्रतिदिन इसके 60,862 प्रतियां बिक्री दिखाया गया था जिसके आधार पर उसे बिहार सरकार से प्रति वर्ष करीब 30 लाख रुपये के विज्ञापन मिलते थे।

34 बच्चियों के साथ दुष्कर्म की पुष्टि

अभी तक की मेडिकल जांच में कम से कम 34 बच्चों के साथ रेप की पुष्टि हुई है। मेडिकल बोर्ड की जांच रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी हरप्रीत कौर ने शनिवार (28 जुलाई) को यह जानकारी दी कि वहां रह रही 42 में से 34 लड़कियों के साथ दुष्कर्म हुआ था। पहले 29 के साथ दुष्कर्म की बात सामने आई थी। पुलिस ने रिपोर्ट को कोर्ट में पेश कर दिया है। जांच में यह सच भी सामने आया है कि बच्चियों को नशीली दवा एवं इंजेक्शन देकर यौन शोषण किया जाता था।

इससे पहले बालिका गृह में रही 44 लड़कियों में से 42 की मेडिकल जांच कराई गई थी जिसमें से 29 बच्चियों के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई थी। सात साल की बच्ची तक को दरिंदों ने नहीं छोड़ा था। वह बच्ची बोल नहीं पा रही है। एक लड़की ने तो अपनी सहेली की हत्‍या कर शव को परिसर में ही दफना दिए जाने की भी बात कही है। 31 मई को एफआईआर दर्ज होने का बाद एनजीओ (जो आश्रय गृह को संचालित कर रहा था) के संचालक शहर के ही ताकतवर व्यक्ति ब्रजेश ठाकुर समेत 10 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।

हालांकि बाल संरक्षण विभाग के दिलीप शर्मा को पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है। एक लड़की ने तो अपनी सहेली की हत्‍या कर शव को परिसर में ही दफना दिए जाने की भी बात कही है। 31 मई को एफआईआर दर्ज होने का बाद एनजीओ (जो आश्रय गृह को संचालित कर रहा था) के संचालक शहर के ही ताकतवर व्यक्ति ब्रजेश ठाकुर समेत 10 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। हालांकि बाल संरक्षण विभाग के दिलीप शर्मा को पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है।

ऐसे हुआ खुलासा

दरअसल, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस की ‘कोशिश’ टीम ने बिहार के कई जिलों में चलाए जा रहे बालिका गृहों को लेकर इसी साल फरवरी महीने में ‘सोशल ऑडिट’ किया था। जिसके बाद यह रिपोर्ट बिहार के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई। 100 पन्नों की इस रिपोर्ट में राज्य भर के बालिका गृहों के हालात और वहां रह रहीं बच्चियों के साथ होने वाले व्यवहारों पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। हालांकि यह रिपोर्ट सामने आने के बाद सबसे ज्यादा चर्चा मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में रह रहीं मासूम बच्चियों के साथ हुए बर्ताव की हो रही है।

15 मार्च को सौंपी गई यह रिपोर्ट दो महीने बाद 26 मई को जिलों की बाल संरक्षण इकाई को भेजी गई। इसी दिन मुजफ्फरपुर जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक दिवेश शर्मा ने एक पत्र समाज कल्याण विभाग के निदेशक को भेजा। 28 मई को वहां से जवाब आया कि सेवा संकल्प और विकास समिति के बालिका गृह में रह रही बच्चियों को कहीं और शिफ्ट किया जाए और एफआईआर दर्ज की जाए।

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