गोहत्या और पशुओं की खरीद-बिक्री के बैन को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के बाद देश भर में हो रहे विरोध में बीच राजस्थान हाई कोर्ट ने मंगलवार(31 मई) को सुझाव दिया है कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि कानूनों में बदलाव करके गोहत्या के मामले में उम्रकैद की सजा दी जाए। बता दें कि अभी तक इस मामले में तीन साल की सजा का प्रावधान है।
जज ने हिंगोनिया गौशाला मसले पर फैसला सुनाते हुए सरकार को उक्त सुझाव दिए। जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि राजस्थान के सबसे वरिष्ठ नौकरशाह मुख्य सचिव को उनकी सिफारिश पर केंद्र से समन्वय करना चाहिए। अपने आखिरी फैसले के बाद सेवानिवृत्त हुए जस्टिस शर्मा ने कहा कि नेपाल एक हिंदू राष्ट्र है और उसने गाय को अपना राष्ट्रीय पशु घोषित किया है। राज्य सरकार से उम्मीद है कि वह इस देश में भी गाय को यह कानूनी मान्यता देगी।
इस बीच जस्टिस शर्मा ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि नेपाल की तर्ज पर भारत में भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह अपने फैसले में तमाम वेदों और धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए इस बात की जानकारी दी है कि गाय इंसान के लिए क्यों महत्वपूर्ण है।
विस्तृत बातचीत में जस्टिस शर्मा ने कहा कि भगवान कृष्ण भी गाय के महत्व को बहुत अच्छी तरह जानते थे। इसके अलावा उन्होंने दावा किया मोर को राष्ट्रीय पक्षी इसलिए बनाया गया, क्योंकि वह जिंदगी भर ब्रह्मचारी रहता है। जस्टिस शर्मा ने कहा कि भगवान कृष्ण जब धरती पर आए तो उन्होंने आने से पहले वृंदावन में गाय को उतारा, गोवर्धन में गाय को उतारा…उन्हें पता था कि हमारा जो वैद्य होगा, जो डॉक्टर होगा वह गाय ही होगी।
उन्होंने आगे कहा कि, गाय के दूध से सब प्रकार की बीमारियां समाप्त हो जाती हैं। सात्विक प्रवृत्ति और धार्मिकता बढ़ती है। यह गाय के दूध के महत्व की बात है। उन्होंने कहा कि मैंने अपने फैसले में गाय के बारे में ऋगवेद, सामवेद, यदुर्वेद, रामायण, गीता और महाभारत का जिक्र करते हुए लिखा है कि गाय का आदमी के लिए क्या महत्व है।
शर्मा ने कहा कि ‘गाय मरने के बाद भी काम आती है। गाय का गोबर भी काम आता है। गाय का मूत्र भी काम आता है। गाय का दूध, हड्डियां भी काम आती हैं। तांत्रिक प्रयोग के लिए भी गाय काम में आती है।’ उन्होंने सरकार को निर्देश देने के बजाय सुझाव क्यों दिया?
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैंने सुझाव दिया है, क्योंकि यह मेरी अंतरआत्मा की आवाज है। उनको निर्देश इसलिए नहीं दिए जा सकते थे, क्योंकि केंद्र सरकार उसमें पार्टी नहीं थी। ये सुझाव मैंने अपनी आत्मा की आवाज पर दिए हैं। सरकार जरूर इस पर काम करेगी, सकरात्मक काम करेगी। यह देश हित का काम है और सभी प्राणियों के लिए है।
नेपाल से भारत की तुलना के सवाल पर जस्टिस शर्मा ने कहा कि सवाल सेक्युलर या हिंदू का नहीं है। हमने मोर को राष्ट्रीय पक्षी क्यों घोषित किया। क्योंकि मोर आजीवन ब्रह्मचारी रहता है। इसके जो आंसू आते हैं, मोरनी उसे चुग कर गर्भवती होती है। उन्होंने कहा कि मोर कभी भी मोरनी के साथ सेक्स नहीं करता।
उन्होंने आगे कहा कि मोर पंख को भगवान कृष्ण ने इसलिए लगाया, क्योंकि वह ब्रह्मचारी है। साधु संत भी इसलिए मोर पंख का इस्तेमाल करते हैं। मंदिरों में इसलिए मोर पंख लगाया जाता है। ठीक इसी तरह गाय के अंदर भी इतने गुण हैं कि उसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। हालांकि, जस्टिस शर्मा के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनका काफी मजाक उड़ाया जा रहा है।
बता दें कि इससे पहले पशुओं की खरीद-बिक्री को लेकर केंद्र सरकार के फैसले पर मद्रास हाई कोर्ट ने चार सप्ताह के लिए रोक लगा दी है। कोर्ट ने वध के लिए जानवरों की खरीद-बिक्री पर केंद्र के अध्यादेश पर रोक लगाते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है।
सोमवार(29 मई) को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मवेशियों को मंडियों में वध के लिए खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र की अधिसूचना को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी थी। मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने अंतरिम फैसला सुनाते हुए कहा कि केंद्र सरकार लोगों की ‘फूड हैबिट’ तय नहीं कर सकती।
(देखें पूरा इंटरव्यू)
"Peacock has pious qualities just like cow — Peahen doesn't need to have sex to get pregnant, it just swallows 'tears' of the peacock" pic.twitter.com/unwucmOFLJ
— News18 (@CNNnews18) May 31, 2017