दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर वयस्क बच्चे अपने मां-बाप के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं तो उनको घर से निकाला जा सकता है। न्यायमूर्ति मनमोहन ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि संतान को घर से निकालने के मामले में यह जरूरी नहीं है कि घर उन्होंने खुद बनाया हो अथवा उसके मालिक मां-बाप हों।
अदालत ने कहा, जब तक मां-बाप के पास संपत्ति पर कानूनी अधिकार है तो वे गाली-गलौज करने वाले अपने वयस्क बच्चों को घर से बाहर निकाल सकते हैं। यहां तक कि अदालतों ने बार बार यह कहा है कि वरिष्ठ नागरिकों अथवा मां-बाप को शांतिपूर्ण ढंग से और सम्मान के साथ रहने का अधिकार है।
साल 2007 के एक कानून में इस बात का प्रावधान है जिसके तहत राज्य सरकार पर यह छोड़ दिया गया कि वे वरिष्ठ नागरिकों के जान-माल की रक्षा के लिए नियम बनाएं। अदालत का यह आदेश नशे के आदी एक पूर्व पुलिसकर्मी एवं उसके भाई की ओर से दायर अपील पर आया है।
इन दोनों ने रखरखाव न्यायाधिकरण के अक्तूबर, 2015 के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उन्हें उनके माता-पिता के मकान से बाहर निकलने के लिए कहा गया था।