भारतीय उद्योग जगत पर ‘केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की टिप्पणी’ को लेकर विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना

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विपक्षी नेताओं ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा भारतीय उद्योग जगत की कार्य प्रणाली की आलोचना किए जाने के दावे वाली एक खबर का हवाला देते हुए शनिवार को सरकार पर निशाना साधा। खबर के मुताबिक, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय उद्योग जगत की कार्य प्रणाली राष्ट्रीय हितों के खिलाफ चली गई।

File Photo: PTI

अंग्रेजी के मशहूर अखबार ‘द हिंदू’ की खबर में कहा गया है कि गोयल ने अपनी टिप्पणी में टाटा समूह को निशाने पर लिया और कहा, ‘क्या आप जैसी कंपनी, एक दो, आपने शायद कोई विदेशी कंपनी खरीद ली…उसका महत्व ज्यादा हो गया, देश हित कम हो गया?’ बहरहाल, मंत्री से जुड़े सूत्रों का कहना है कि गोयल की टिप्पणी को संदर्भ से हटकर पेश किया गया है।

गोयल के करीबी एक सूत्र ने कहा, ‘इस संवाद का सार राष्ट्रीय हित से संबंधित था। मंत्री की दिल से की गई अपील को व्यापक रूप से देखने की जरूरत है, इसे सिर्फ झूठी निंदा के लिए सीमित दायरे में देखने की जरूरत नहीं है।’ कई विपक्षी दलों ने गोयल पर निशाना साधा और सरकार को भी आड़े-हाथों लिया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘सबसे पहले गोयल ने सुनिश्चित किया कि राज्यसभा नहीं चले और अब इस तरह की अजीबो-गरीब टिप्पणी। वह आधिकारिक स्वीकृति के बिना यह नहीं बोल सकते थे। क्या वह बोल सकते हैं?’

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार का मंत्र ‘मेक इन इंडिया’ वाले उद्योगपतियों का अपमान करना है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘आज़ादी से आज तक के “मेक इन इंडिया” वाले देश के उद्योगपतियों व निर्माताओं को लताड़ो व बेइज्जत करो। सिर्फ़ हम दो, हमारे दो का परिवार, बाक़ी सब हैं निकम्मे और बेकार, यही कहती है मोदी सरकार।’

आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने तंज कसते हुए कहा, ‘प्रिय कारपोरेट इंडिया, व्यक्ति जो बोता है, वही काटता है। शुभकमानाएं।’ शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने दावा किया कि पीयूष गोयल की ओर से जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है वो शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि सीआईआई को वीडियो हटाकर मंत्री की मदद करने के बजाय उनसे माफी मांगने के लिए कहना चाहिए।

एआईएमआईम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी उद्योगपतियों को भरोसे में लेना चाहते हैं, लेकिन उनके मंत्री उन लोगों को जवाबदेह ठहराना चाहते हैं। (इंपुट: भाषा के साथ)

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