राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने अपनी कार्यवाही के दौरान हिंदी पर प्रतिबंध लगाते हुए, यह बात साफ कर दी कि वह वादी जो उसके समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होते हैं वह अपने दस्तावेज केवल अंग्रेजी में ही प्रस्तुत करें।
हरित पैनल ने कहा कि 2011 एनजीटी (चलन एवं प्रकिया) नियमों के नियम 33 के अनुसार अधिकरण की कार्यवाही केवल अंग्रेजी में ही होनी चाहिए।
ओजस्वी पार्टी की वह याचिकाएं जिनके अंग्रेजी में न होने के कारण उन्हें एनजीटी ने अस्वीकार कर दिया था, पर पुनर्विचार करने के लिए दायर की गई समीक्षा याचिका की सुनवाई के दौरान यह स्पष्टीकरण दिया गया है।
न्यायाधीश यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, ‘‘ दायर की गई याचिका में याचिकाकर्ता को यह भम्र था कि हिंदी के राष्ट्रीय भाषा होने के चलते अधिकरण हिंदी की याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगा. हालांकि अब यह भ्रम दूर कर दिया गया है और उन्हें समझ आ गया है कि 2011 एनजीटी (चलन एवं प्रकिया) नियमों के नियम 33 के अनुसार एनजीटी के काम केवल अंग्रेजी में ही होंगे।