राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ऑड-ईवन योजना के पांच दिनों के दौरान डीटीसी बसों की मुफ्त सवारी के दिल्ली सरकार के फैसले से उसे करीब साढ़े नौ करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। बता दें कि परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने घोषणा की कि दिल्ली सरकार यात्रियों को 13 से 17 नवंबर तक ऑड-ईवन योजना के दौरान सभी डीटीसी और क्लस्टर बसों में मुफ्त यात्रा की अनुमति देगी, ताकि सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जा सके।न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल जून के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बसों में प्रतिदिन करीब 28 लाख यात्री यात्रा करते हैं और वह रोजाना 1.88 करोड़ रुपये कमाता है। पांच दिन की मुफ्त सेवा से डीटीसी को करीब साढ़े नौ करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
डीटीसी के एक अधिकारी ने बताया कि यह हम पर अतिरिक्त बोझा होगा, क्योंकि हम पहले से ही नुकसान में चल रहे हैं।कैग रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी लगातार नुकसान में चल रहा है। डीटीसी का 2014.15 में कुल नुकसान 2917.75 करोड़ रुपये था जो पिछले पांच वित्तीय वर्ष में सर्वाधिक था।
NGT ने दिल्ली सरकार को लगाई फटकार
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने शुक्रवार (10 नवंबर) को दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह जिन आंकड़ों या अध्ययनों के आधार पर अगले सप्ताह से कारों के लिए ऑड-ईवन लागू करने की योजना बना रही है, उन्हें पंचाट को सौंपे।
हरित अधिकरण ने दिल्ली सरकार से सवाल किया कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा यह कहने के बावजूद कि पहले दो बार लागू हुई ऑड-ईवन योजना के दौरान पीएम 10 या पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा था, वह योजना क्यों लागू करना चाहती है।
पिछले वर्ष 21 अप्रैल को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अधिकरण को बताया था कि इस तथ्य को बताने वाले कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है कि ऑड-ईवन योजना के दौरान दिल्ली में वाहनों से होने वाला वायु प्रदूषण कम हुआ है। इस योजना के तहत सड़क पर एक दिन ऑड संख्या वाले जबकि दूसरे दिन ईवन संख्या वाले वहनों को चलने की अनुमति होती है।
दिल्ली सरकार को अधिकरण ने यह निर्देश दिया कि वह ऑड-ईवन योजना तब तक लागू नहीं करेगी, जब तक वह साबित ना कर दे कि यह योजना अनुत्पादक नहीं है। अधिकरण ने दिल्ली सरकार से यह हलफनामा देने को भी कहा कि वह पीएम 2.5 का स्तर हवा में 300 प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा होने पर ही यह योजना लागू करेगी।
NGT के अनुसार, मौजूदा हालात में राजधानी में पीएम 2.5 का स्तर करीब 433 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जबकि पीएम 10 की मात्रा करीब 617 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। NGT के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह डीजल और पेट्रोल वाहनों द्वारा होने वाले उत्सर्जनों का तुलनात्मक अनुपात उसे बताये।
अधिकरण ने सरकार से यह स्पष्ट रूप से बताने को कहा कि पेट्रोल से चलने वाली छोटी कारों का प्रदूषण में कितना योगदान है। हरित अधिकरण ने दिल्ली सरकार से यह भी पूछा कि वह किस आधार पर दो-पहिया वाहनों, महिला कार चालकों को सम-विषम योजना से बाहर रख रही है, जबकि उसे मालूम है कि 46 प्रतिशत प्रदूषण दो-पहिया वाहनों से होता है। यह अध्ययन आईआईटी कानपुर का है।
हालांकि, AAP सरकार के अनुरोध पर हरित अधिकरण ने आवश्यक सेवाओं में जुटे उद्योगों को दिल्ली-एनसीआर में इस शर्त पर काम करने की छुट दी है कि वह प्रदूषण नहीं फैलाएंगे और उत्सर्जन नहीं करेंगे। सुनवायी अभी भी पूरी नहीं हुई है और वह कल भी जारी रहेगी। हालांकि अधिकरण ने यह माना कि दिल्ली सरकार पर्यावरण और जन स्वास्थ्य के हित में कदम उठा रही है और वह प्रशंसनीय है।