केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद यादव, आर के राणा, जगदीश शर्मा एवं तीन वरिष्ठ पूर्व आईएएस अधिकारियों समेत 16 को 23 दिसंबर को दोषी ठहराये जाने के बाद अदालती फैसले के खिलाफ कथित बयानबाजी पर संज्ञान लेते हुए तेजस्वी यादव, राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी एवं शिवानंद तिवारी को आज अवमानना नोटिस जारी किया और उन्हें 23 जनवरी को अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया।
केन्द्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत के न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने 23 दिसंबर को अदालत द्वारा लालू प्रसाद समेत 16 आरोपियों को चारा घोटाले के इस मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद लालू के बेटे तेजस्वी यादव, रघुवंश प्रसाद सिंह, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी एवं शिवानंद तिवारी द्वारा दिए गए बयानों पर संज्ञान लेते हुए आज अवमानना नोटिस जारी किया।
न्यूज़ एजेंसी भाषा की ख़बर के मुताबिक, अदालत ने सीबीआई के माध्यम से प्रेषित इस नोटिस में चारों आरोपियों को अदालत में 23 जनवरी को स्वयं उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने को कहा है। अदालत ने नोटिस में पूछा है कि अदालती फैसले के बारे में दिए गए बयानों को देखते हुए क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए।
अदालत के इस फैसले के बाद राजद एवं कांग्रेस खेमे में सन्नाटा दिखाई दिया और अदालत परिसर में इन पार्टियों के नेता कोई भी बयान देने से बचते दिखे। राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि उन्हें अदालत पर पूरा भरोसा है। लेकिन इस मामले में जिस प्रकार लालू प्रसाद यादव को फंसाया गया है उसे देखते हुए इसे वह और उनकी पार्टी जनता की अदालत में ले जायेंगे और भाजपा को 2018 के आगे कहीं भी अपना पैर नहीं जमाने देंगे।
इससे पूर्व लालू प्रसाद यादव, आर के राणा, जगदीश शर्मा एवं तीन वरिष्ठ पूर्व आईएएस अधिकारियों समेत 16 आरोपियों को सीबीआई की यहां स्थित विशेष अदालत में बिरसा मुंडा जेल से लाकर पेश किया गया।
अदालत ने इन सभी को 23 दिसंबर को इस मामले में दोषी करार देते हुए बिरसा मुंडा जेल भेज दिया था जबकि इसी मामले में अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डा. जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत समेत छह लोगों को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया था।
बता दें कि, लालू को कितने दिनों की सजा मिलेगी इसका एलान आज होना था, लेकिन सीबीआई कोर्ट ने वकील विंदेश्वरि प्रसाद के निधन की वजह से चारा घोटाला मामले में सजा नहीं सुनाई। इनकी सजा का एलान अब गुरुवार (4 जनवरी) को होगा।
क्या है चारा घोटाला?
बता दें कि चारा घोटाला मामला सरकार के खजाने से 900 करोड़ रुपए की फर्जीवाड़ा का है। इसमें पशुओं के लिए चारा, दवाओं आदि के लिए सरकारी खजाने से पैसा निकाला गया था। चारा घोटाला पहली बार 1996 में सामने आया। उस वक्त लालू यादव की सरकार थी। इस घोटाले में 950 करोड़ रुपए के गबन का आरोप है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों और राजनेताओं की मिलीभगत से इस घोटाले को अंजाम दिया गया था।