पुराने नोटों का चलन बंद होने से दिव्यांगों की परेशानियां बढ़ी, बैकों से लोट रहे हैं खाली हाथ

0

बड़े नोटों का चलन बंद होने के बाद सैकड़ों लोगोंं की तरह दृष्टिबाधित मनिन्दर त्रिपाठी भी अपने 500 रूपए के नोट का खुला कराने के लिए रिजर्व बैंक के सामने अलग लाइन में खड़े थे।

यह अलग लाइन वाली सुविधा बाहर निकलते हुए खत्म हो गयी क्योंकि त्रिपाठी बैंक से खाली हाथ लौटे जबकि कुछ लोग दो हजार के नए नोट दिखाते हुए बाहर आए।

त्रिपाठी अपनी जीविका चलाने के लिए अगरबत्तियां बेचते हैं। लेकिन उनकी कहानी का सबसे क्रूर हिस्सा यह है कि एक ग्राहक ने उनसे 12 रूपए कीमत की अगरबत्ती का पैकेट खरीदने के लिए लिया और बिना पैसे दिए ही भाग गया।

रिजर्व बैंक के सामने फुटपाथ पर चुपचाप बैठे त्रिपार्ठी ने बताया, ‘‘सामान्य तौर पर मैं दिन में 150-180 रूपए कमा लेता हूं। लेकिन मंगलवार से मेरी कमायी आधी हो गयी है क्योंकि लोगों के पास खुले पैसे ही नहीं हैं।

आज मैं सिर्फ सात पैकेट बेच सका।’ उन्होंने कहा, ‘‘कल किसी ने मुझसे अगरबत्ती खरीदी और मुझे 500 का नोट पकड़ा दिया। जबतक मुझे एहसास होता वह भाग गया था। मैं आरबीआई गया, वहां लोगों ने मुझसे पहचानपत्र मांंगा। लेकिन मैं कुछ नहीं दिखा सका, इसलिए उन्होंने मुझे खुला देने से मना कर दिया।’

Previous articleDelhi a wakeup call for world on air pollution: UNICEF
Next articleShah Rukh Khan is always open to opinions: Alia Bhatt