त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय में शनिवार (3 मार्च) को विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद पूर्वोत्तर में भगवा का वर्चस्व कायम हो गया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने त्रिपुरा में 25 साल से सत्ता पर काबिज वाम दलों के लाल गढ़ को ध्वस्त करने में कामयाबी हासिल की है। नगालैंड में भी पार्टी सरकार बनाने की तैयारी कर रही है। मेघालय में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है लेकिन यहां भी भाजपा को सरकार बनाने की उम्मीद है। भाजपा गठबंधन अरुणाचल प्रदेश, असम और मणिपुर में पहले से काबिज है। जबकि त्रिपुरा और नगालैंड के नतीजों ने इन राज्यों में उसके सत्तारूढ़ होने का रास्ता साफ कर दिया है।
त्रिपुरा में स्पष्ट बहुमत
त्रिपुरा में शनिवार को हुई मतगणना के बाद भाजपा ने वहां स्पष्ट बहुमत हासिल किया, जिससे प्रदेश में 25 साल से काबिज वाम मोर्चे का सत्ता से बाहर जाना तय हो गया। भाजपा गठबंधन ने 60 में से 43 सीटें हासिल की हैं। इनमें 35 सीटें अकेले भाजपा की हैं। जबकि पिछले चुनाव में सहयोगियों समेत 50 सीट जीतने वाले वाम मोर्चा को सिर्फ 16 सीटों पर जीत से संतोष करना पड़ा है।
त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों के चुनाव परिणामों और रूझानों में बीजेपी और उसकी सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) को दो तिहाई से अधिक बहुमत मिला है। 2013 के त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा को महज डेढ़ फीसद वोट मिले थे जबकि इस बार 43 फीसद। त्रिपुरा में भाजपा-इंडिजनस पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफटी) गठबंधन ने शनिवार को शानदार जीत हासिल करते हुए इतिहास रच दिया।
इसी के साथ राज्य में वाम मोर्चे के 25 साल के शासन का पटाक्षेप हो गया। भाजपा ने 35 जबकि उसकी गठबंधन सहयोगी आइपीएफटी ने आठ सीटों पर जीत हासिल की है। सरकार बनाने के लिए 31 सीट चाहिए। राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 59 पर 18 फरवरी को मतदान हुआ था। एक सीट पर माकपा उम्मीदवार के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया था। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विप्लव कुमार देव ने बनमालीपुर सीट पर जीत हासिल की है। पिछले 25 साल से सत्ता पर काबिज मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) इस बार 16 सीटों पर सिमट गई है। वाम मोर्चे के लिए यह अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है।
नगालैंड में भी एनडीए सरकार बनाने की कवायद
नगालैंड में भी भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया। वहां सर्वाधिक सीटें सत्तारूढ़ नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने जीतीं, लेकिन मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग के नेतृत्व में एनपीएफ पहले ही प्रस्ताव पारित कर भाजपा के साथ गठबंधन में रहने की इच्छा जता चुका है। नगालैंड विधानसभा चुनाव में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी)- भाजपा गठबंधन और सत्तारूढ़ नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के बीच कांटे की टक्कर रही।
58 सीटों के नतीजे घोषित हो चुके हैं जिसमें भाजपा को 11 और उसकी गठबंधन सहयोगी एनडीपीपी को 16 सीटों पर विजय मिली है। सत्तारूढ़ एनपीएफ को 27 सीटें मिली हैं। इस तरह से एनपीएफ और एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन को 27-27 सीटें मिलती दिख रही हैं जो बहुमत के आंकड़े से तीन कम है। नेशनल पीपुल्स पार्टी को दो सीटें मिली हैं जबकि जद (एकी) को सीट मिली है। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीता है।
राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों के लिए गत 27 फरवरी को चुनाव हुए थे। एनडीपीपी के प्रमुख नेफियू रियो उत्तरी अंगामी 2 सीट से निर्विरोध निर्वाचित हो गए, इसलिए इस सीट पर चुनाव नहीं कराया गया। नगालैंड में भी त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति है क्योंकि किसी भी दल या चुनाव पूर्व गठबंधन के खाते में बहुमत नहीं दिख रहा है। हालांकि भाजपा को एनपीएफ नेता व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग ने नई सरकार में शामिल होने का न्योता दिया है। एनपीएफ 27 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है।
चुनाव से ठीक पहले भाजपा एनपीएफ से अलग हो गई थी और नेफियू रियो की नई पार्टी एनडीपीपी से हाथ मिला लिया था। परिणाम और रुझान केवल 57 सीटों के उपलब्ध हैं। जेलियांग ने कहा कि एनपीएफ भाजपा नीत नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस का लगातार हिस्सा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भगवा दल एनपीएफ के साथ नई सरकार बनाएगा। उन्होंने एक समाचार चैनल से कहा कि हम गठबंधन से अलग नहीं हुए हैं। मुझे उम्मीद है कि भाजपा हमारी सरकार में शामिल होगी। यदि वह शामिल होती है तो मैं इसका स्वागत करूंगा।
मेघालय में सरकार गठन की संभावनाएं तलाश रही भाजपा
मेघालय में भाजपा गठबंधन का प्रदर्शन त्रिपुरा और नगालैंड की तरह नहीं रहा। वहां सत्तारूढ़ कांग्रेस भी स्पष्ट जनादेश नहीं पा सकी। ऐसे में भाजपा वहां भी गैर कांग्रेसी सरकार के गठन की संभावनाएं टटोल रही है। वहीं, कांग्रेस भी सरकार बनाने की कवायद में जुटी है। मेघालय में शनिवार को हुई मतगणना का नतीजा त्रिशंकु विधानसभा के रूप में निकला और 59 में से 21 सीट जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) 19 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर है। वहीं, 47 सीटों पर लड़ने वाली भाजपा केवल दो सीट जीत सकी। राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए 59 सीटों पर गत 27 फरवरी को मतदान हुआ था। आइईडी विस्फोट में राकांपा के एक उम्मीदवार की मौत के कारण एक सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया गया था। मेघालय में सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी या गठबंधन को वर्तमान में कम से कम 30 सीटों की जरूरत है।
कांग्रेस का किसी दल के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं था। दस साल पुरानी मुकुल संगमा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए पूरी ताकत झोंकने वाली भाजपा ने भी चुनाव पूर्व किसी दल के साथ गठबंधन नहीं किया था। हालांकि एनपीपी मणिपुर और केंद्र में भगवा दल की सहयोगी है। एनपीपी प्रमुख कोनराड संगमा ने कहा कि हमें उम्मीद है कि हम सरकार बनाने में सफल होंगे। लोग भ्रष्ट कांग्रेस सरकार से हताश हैं और बदलाव की ओर देख रहे हैं। सभी की निगाहें अब क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों पर हैं।
यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) ने छह सीटों पर जीत दर्ज की है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट ने चार और हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने दो सीटों पर जीत हासिल की है। खुन हिनीवट्रेप नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट और राकांपा ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की है। निर्दलीय उम्मीदवार तीन सीटों पर विजयी हुए हैं। कांग्रेस ने राज्य में सरकार गठन की संभावना तलाशने के लिए दो वरिष्ठ नेताओं- अहमद पटेल और कमलनाथ को मेघालय भेजा है।