राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस साल राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं करेंगे। इस फैसले का मकसद यह संदेश देना है कि राष्ट्रपति भवन पूरे देश के लिए धर्मनिरपेक्ष भाव रखता है। इसलिए, धर्म विशेष से जुड़े किसी भी आयोजन को मंजूरी नहीं दी जाएगी। राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अशोक मलिक ने कहा कि राष्ट्रपति ने पदभार ग्रहण करने के बाद निर्णय किया था कि राष्ट्रपति भवन जैसी सार्वजनिक इमारत में करदाताओं के खर्चे पर किसी तरह का धार्मिक समारोह या त्योहार नहीं मनाया जाएगा।
File Photo: PTIदेश के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को ध्यान में रखकर यह फैसला किया गया और यह सभी तरह के धार्मिक कार्यक्रमों पर लागू होता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति हर प्रमुख त्योहार के अवसर पर नागरिकों को शुभकामनाएं देते हैं। बता दें कि 25 जुलाई, 2017 को रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेते समय ही फैसला किया था कि राष्ट्रपति भवन एक सार्वजनिक इमारत है, यहां सरकार या कर दाताओं के पैसों से किसी भी धार्मिक त्योहार का आयोजन नहीं होगा।
After the President took office in July 2017, he directed Rashtrapati Bhavan being a public building there would be no religious observances at taxpayer expense. This is in keeping with the principles of a secular state and applies to all festivities, irrespective of religion 1/3
— Ashok Malik (@MalikAshok) June 6, 2018
हालांकि वे देशवासियों को हर त्योहार पर शुभकामनाएं देंगे। राष्ट्रपति भवन परिसर में रहने वाले कर्मचारियों पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। वे अपने-अपने त्योहार मना सकेंगे। राष्ट्रपति भवन में हर साल इफ्तार पार्टी का आयोजन होता आया है। लेकिन पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के कार्यकाल में पहली बार 2002 में इसके आयोजन पर रोक लगी थी। कलाम ने अपने पांच साल के कार्यकाल में राष्ट्रपति भवन में कोई भी धार्मिक आयोजन नहीं किया था।
उन्होंने इफ्तार पार्टी पर होने वाले खर्च से गरीब और अनाथ लोगों की मदद की थी। हालांकि कलाम के बाद राष्ट्रपति बनी प्रतिभा पाटिल ने राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी को फिर से बहाल कर दिया था। यह सिलसिला पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल में भी जारी रहा। मुखर्जी राष्ट्रपति रहते हुए राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी दिया करते थे। हालांकि उस दौरान पीएम मोदी ने किसी भी इफ्तार पार्टी में हिस्सा नही लिया था।