बरेली: रविशंकर के लिए नहीं खुला ‘मदरसे’ का गेट, 20 मिनट तक इंतजार करने के बाद बैरंग लौटा काफिला

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‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्थापक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घोर समर्थक रविशंकर मंगलवार (6 मार्च) को बरेली के सीबीगंज स्थित इस्लामिक स्टडी सेंटर (मदरसा) पहुंचे तो उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। रविशंकर मदरसे के बाहर करीब 20 मिनट तक इंतजार करते रहे। इसके बाद उनका काफिला वहां से बैरंग वापस लौट गया। बता दें कि रविशंकर इन दिनों अयोध्या विवाद को अदालत के बाहर सुलझाने की कोशिश में जुटे हैं और वह तमाम मुस्लिम और हिंदू धर्मगुरुओं से मुलाकात कर रहे हैं।

Photo: Hindi.Oneindia.com

रिपोर्ट के मुताबिक, इसी क्रम में अयोध्या मुद्दे पर आम राय बनाने के मकसद से मंगलवार को उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित मदरसे में पहुंचे थे, लेकिन तवज्जो नहीं मिलने के बाद वहां से उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ा। रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान रविशंकर मदरसे के गेट के बाहर करीब 20 मिनट तक इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। शर्मसार होने के बाद वह अपने लाव लश्कर के साथ वापस लौट गए।

हिंदुस्तान में छपि रिपोर्ट के मुताबिक, अमन का संदेश लेकर बरेली गए रविशंकर जब मंगलवार को बरेली के सीबीगंज स्थित काजी के इस्लामिक स्टडी सेंटर पहुंचे तो उन्हें अंदर घुसने नहीं दिया गया। रविशंकर मदरसे के बाहर इंतजार करते रहे। पुलिस अधिकारियों ने भी दरगाह आला हजरत के बड़े तबके से फोन पर बातचीत की लेकिन उन्हें अंदर जाने की इजाजत नहीं मिली। हिंदुस्तान के मुताबिक बरेलवी मसलक के लोगों ने रविशंकर के कार्यक्रम को लेकर नाराजगी जताई है।

बरेलवी मरकज का सबसे बड़ा मदरसा इस्लामिक स्टडी सेंटर सीबीगंज में है। रविशंकर ने मंगलवार को दरगाह आला हजरत पर हाजिरी दी और फिर मौलाना तौकीर रजा से मुलाकात करने के बाद उन्होंने सीबीगंज मदरसे में जाने की योजना बनाई। उनके साथ आईएमसी के प्रवक्ता डॉ. नफीस खां भी गए। जब वे मदरसे के गेट पर पहुंचते हो उन्हें बाहर रोक दिया गया। रविशंकर का काफिल मदरसे के अंदर नहीं जा सका।

उन्हें गर्मी में परेशान जब पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों ने देखा तो उन्होंने दरगाह के बड़े बुजुर्गों से फोन से संपर्क किया। लेकिन इसके बावजूद रविशंकर को मदरसे के अंदर आने नहीं दिया। करीब 20 मिनट के बाद भी कोई तरजीह नहीं मिलने के बाद रविशंकर का काफिला वहां से बैरंग वापस लौट गया। शहर काजी मौलाना असजद रजा खां कादरी के दामाद सलमान हसन खां कादरी ने बताया कि रविशंकर के आने का प्रोग्राम बरेली में था। उन्होंने दरगाह पर हाजिरी दी और बाकी लोगों से मुलाकात भी की।

जबकि उन्हें दरगाह के सबसे अहम शख्सियत ताजुशरिया मुफ्ती अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां और शहर काजी मौलाना असजद रजा खां से मुलाकात करनी चाहिए थी। बताया जा रहा है कि शहर काजी मौलाना असजद रजा खां के पास उनसे मिलने का न्यौता न होने के कारण मदरसे का गेट उनके लिए नहीं खोला गया। काफी देर इंतजार के बाद वह लौट आए। शहर काजी ने कहा कि अचानक वो मदरसे में आ गए। जब तक मदरसे के छात्रों की छुट्टी हो गई थी। हमारी इजाजत के बगैर मदरसे का गेट नहीं खोला जाता है।

आर्ट ऑफ लिविंग ने दी सफाई

आर्ट ऑफ लिविंग की प्रवक्ता ने वनइंडिया से बातचीत में बताया कि रविशंकर को मदरसे में प्रवेश मिलने या न मिलने की कोई बात ही नहीं उठती, क्‍योंकि जिन मौलाना साहब से उन्हें मिलना था वे वहां नहीं थे। जिस वक्त रविशंकर मदरसा पहुंचे, उसी वक्त मौलाना साहब उनसे मिलने वहां पहुंच गए जहां वे ठहरे हुए थे। जैसे ही रविशंकर को सूचना मिली, वे तुरंत मदरसे से लौट गए। लिहाजा मीडिया में फैली एंट्री नहीं मिलने की खबर पूरी तरह गलत है।

अयोध्या में मंदिर के पक्ष में फैसला न आने पर खून खराबे की दी चेतावनी

बता दें कि रविशंकर इन दिनों अयोध्या विवाद को अदालत के बाहर सुलझाने की कोशिश में जुटे हैं। इस बीच सोमवार (5 मार्च) को अयोध्या विवाद पर चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर मामला नहीं सुलझा तो ‘भारत में सीरिया जैसे हालात हो जाएंगे’। साथ ही उन्होंने मंदिर के पक्ष में फैसला न आने पर खून खराबे की भी चेतावनी दे डाली। उन्होंने ये बातें अंग्रेजी समाचार चैनल इंडिया टुडे और एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू के दौरान कहीं।

रविशंकर का कहना है कि अगर अयोध्या में राम मंदिर विवाद नहीं सुलझा तो भारत सीरिया बन जाएगा। रविशंकर ने सोमवार को अयोध्या में मंदिर बनाने की वकालत करते हुए इंडिया टुडे से कहा कि, ‘मुस्लिमों को सद्भावना दिखाते हुए अयोध्या पर अपना दावा छोड़कर मिसाल पेश करनी चाहिए। अयोध्या मुस्लिमों की आस्था का स्थान नहीं है।’

रविशंकर ने कहा कि इस्लाम विवादित स्थल पर पूजा करने की अनुमति नहीं देता है। विवादित स्थल पर अस्पताल बनाने के प्रस्ताव को भी उन्होंने खारिज कर दिया। रविशंकर के मुताबिक फैसला अदालत से आया तो भी कोई भी पक्ष राजी नहीं होगा। अदालत के फैसले में एक पक्ष को हार माननी होगी। ऐसे में बवाल होने की आशंका है, जो समाज के लिए अच्छा नहीं है।

वहीं एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि, ”अगर कोर्ट कहता है कि ये जगह बाबरी मस्जिद है तो क्या लोग इस बात को आसानी और खुशी से मान लेंगे? 500 सालों से मंदिर की लड़ाई लड़ रहे बहुसंख्यकों के लिए कड़वी गोली की तरह होगी। ऐसी स्थिति में खून खराबा भी हो सकता है।”

उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाता है तो मुस्लिम हारा हुआ महसूस करेंगे। वो न्यायपालिका में अपनी यकीन खो सकते हैं। ऐसे में वो अतिवाद की तरफ बढ़ सकते हैं। हम शांति चाहते हैं। बता दें कि इससे पहले वाराणसी में रविशंकर ने कहा था ने कहा था कि देश के करोड़ों लोगों की भावनाएं कुछ एकड़ जमीन के टुकड़े से कहीं बड़ी हैं।

 

 

 

 

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